एक मरहले में इंतिख़ाबात की वकालत की: नीतीश कुमार

वज़ीर-ए-आला नीतीश कुमार ने मुल्क में एक मरहले में इंतिख़ाबात की वकालत की है| कहा कि इस से जम्हूरियत का वक़ार बनी रहेगी| तवील इंतिख़ाबी अमल के चलते जम्हूरियत की पासदारी पर बुरा असर पड़ा है|

25 मार्च से 214 जलसों से ख़िताब करने वाले वज़ीर-ए-आला नीतीश कुमार आख़िरी इंतिख़ाबी जलसे से ख़िताब कर लौटे एयरपोर्ट पर सहाप्हीयों से मुख़ातब थे| उन्होंने कहा कि इस इंतिख़ाब में फ़िर्कावाराना और ज़ात पात का कार्ड खेला गया| ये इंतिख़ाब कई माअनों में याद रखा जाएगा| इंतिख़ाबात में कोई भी अच्छी चीज़ नज़र नहीं आई| बी जे पी और कांग्रेस इत्तिहाद ने अपनी पालिसियों से मुल्क के अवाम के सामने पेश नहीं किया|

बी जे पी महंगाई रोकने, करप्शन रोकने, रोज़गार के मौक़े की पालिसी को पेश नहीं कर सकी| उऩ्हें मुल्क की तरक़्क़ी के लिए इक़तिसादी पालिसी पेश कर वोट मांगनी चाहिए थी| कांग्रेस दस साल में किए गए काम को वोटरों के सामने पेश कर वोट मांगती, ऐसा नहीं हुआ| बी जे पी – कांग्रेस की इंतिख़ाबी मुहिम में पालिसी, मसला, प्रोग्रामों की बहस तक नहीं हुई| दोनों इत्तिहाद सोच – समझ कर एक हिक्मत-ए-अमली के तहत काम किया| सिर्फ़ जुमले बाजी की|

इंतिख़ाबात में इक़दार की ख़िलाफ़वरज़ी हुई है| कोई पाकिस्तान भेज रहा था तो कोई बुकिंग मंसूख़ करा रहा था| कुछ लोगों की बार – बार ज़बान फिसल रही थी| दौलत का इस्तिमाल पानी की तरह किया गया| 1977 से इंतिख़ाबात को क़रीब से देख रहे हैं| इतने पैसे कभी किसी पार्टी ने ख़र्च नहीं किए| नीतीश ने कहा कि 16 मई का इंतिज़ार कीजिए| सब के दावे का पता चल जाएगा| तशहीर निज़ाम का सहारा लेकर अवाम को गुमराह करने की कोशिश की गई है|

वज़ीर-ए-आला नीतीश कुमार फ़लसफ़ी करंसी में थे| बी जे पी लीडरों पर जम कर चुटकी भी ली, कहा कि लोग मेरी हुकूमत गीराने की बात कर‌ रहे हैं बी जे पी लीडर हुकूमत गिरने की ख़ुशी में होली मनाने की तैयारी में जुट जाएं| मिठाई पहले से मंग्वा कर रख लें| वज़ीर-ए-आला ने कहा कि ज़िंदगी का कोई ठिकाना नहीं है| आज हैं कल नहीं रह सकते हैं| कुर्सी को कौन पूछता है| मस्ती से रहने की ज़रूरत है|