एक मासूम की दर्द भरी दास्तान

लखनऊ, 219 जून: मेरा नाम चिरैया है, लेकिन यहां आंटी ने मेरा नाम बदलकर अनीता रख दिया। मैं घर का सारा काम काज करती हूं, लेकिन काम में अगर थोड़ी-सी भी देर हो जाए तो आंटी मुझे बहुत मारती हैं। कभी-कभी तो खाना भी नहीं देतीं। यहाँ मेरी कोई सहेली भी नहीं है, जिसके साथ मैं खेल पाऊं।’

चिरैया की दर्द भरी दास्तान…

यह दर्द भरी दास्तान है आठ साल की एक मासूम की, जिसे चाइल्ड लाइन ने जुमेरात के दिन गोमती नगर ब्लाक वाकेए एक मकान से आज़ाद करवाया। बच्ची से घर का सारा काम करवाया जा रहा था और उसे अक्सर मार भी पड़ती थी।

बच्ची के सिसकने-रोने की आवाज सुनकर एक पड़ोसी ने चाइल्ड लाइन को इत्तेला दी। चाइल्ड लाइन के मुताबिक उन्हें गोमती नगर ब्लाक वाकेए मनोज सिंह के सुसराल में एक छोटी बच्ची के होने की इत्तेला मिली। इसके बाद चाइल्ड लाइन के मुलाज़्मीन गोमती नगर थाने की पुलिस की मदद से उस मकान तक पहुंचे।

घरवालों ने किसी भी बच्ची के होने से इन्कार कर दिया। करीब एक घंटे की खोजबीन के बाद बच्ची को बाथरूम से बरामद किया गया। चाइल्ड लाइन के मुलाज़िम मनोज ने बताया कि बच्ची को साथ लाया गया है और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने उसे प्राग् नारायण रोड वाकेए बालगृह में रखने का ऑडर दिया है।

रांची के भड़गांव की रहने वाली चिरैया पिछले छह महीने से इस घर में रहकर न सिर्फ घर का काम कर रही थी, बल्कि आए दिन बे‌हरमी का शिकार भी हो रही थी। उसने बताया कि उसके गांव में वालिद, वालिदा और एक छोटा भाई है। वालिद बीमार थे, इसलिए उनके ‌इलाज के लिए पैसे जुटाने यहां चली आई थी। पैसे तो मिले नहीं, लेकिन कैद से आजाद हुई चिरैया अब घर लौटना चाहती है।

‍‍बशुक्रिया: अमर उजाला