एक माह का राशन, एक माह की ज़िंदगी

समीना की उम्र यही कोई 33,34 साल होगी। वो सुरजानी टाउन में वाक़े ख़ुदा की बस्ती में रहती है। उस की शादी हुई नहीं या उस ने की नहीं ये पूछने की कभी हिम्मत नहीं हुई। एक बीमार और लागर सी बड़ी बहन और एक जवान भतीजी इस के साथ रहती है।

बहनोई का बर्सों पहले एक हादिसे में इंतिक़ाल हो चुका है। लिहाज़ा, बहन और भतीजी की कफ़ालत भी ख़ुद उसी के ज़िम्मे है। गुज़र औक़ात के लिए वो दवाएं बनाने वाली एक कंपनी में कच्ची मुलाज़िम है, फ़ैक्ट्री की इंतेज़ामीया कुछ दिन या कुछ महीने काम कराके एक माह की जबरी छुट्टी पर भेज देते हैं।

उन्हें शायद ख़ुदा से ज़्यादा फ़ैक्ट्री मज़दूरों के लिए बनाए हुए क़्वानीन से डर लगता है। उन्हें ख़द्शा रहता है कि अगर मुसलसल काम करा लिया तो समीना जैसी अनगिनत ख़्वातीन को पक्की मुलाज़मत ना देना पड़ जाए। इस सूरत में उन्हें ज़्यादा तनख़्वाह और ज़्यादा मुराआत देना पड़ सकती हैं।