एक मुसलमान बेगम रुक़ैय्या ने खोला था लड़कियों के लिए पहला स्कूल

अस्सलाम ओ आलेकुम, सिअसत हिंदी में हम आज बात करेंगे एक ऐसी शख्सियत के बारे में जिसे आम तौर पर हम भूल चुके हैं,हिन्दुस्तानी किताबों में भी उनकी बातें कम सी हो गयी हैं. हम बात कर रहे हैं बेगम रुक़ैय्या की.बेगम रुक़य्या ने पहला ऐसा स्कूल खोला जो सिर्फ़ लड़कियों की पढ़ाई के लिए थे. उन्होंने कई नोवेल और कहानियां भी लिखीं। उनकी “सुल्तानाज़ ड्रीम्स” काफ़ी मशहूर किताब रही.

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औरतों के हक़ की लड़ाई करने वाली बेगम रुक़ैय्या का जन्म 9 दिसम्बर 1880 को रंगपुर(अब ये शहर बांग्लादेश में है) में हुआ था.उनके पिता जहीरुद्दीन मोहम्मद अबू अली हैदर साबिर एक पढ़े लिखे ज़मींदार थे. 1896 में जब रुक़ैय्या की उम्र 16 साल की थी, उनकी शादी भागलपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ख़ान बहादुर सख़ावत हुसैन से हो गयी, सख़ावत तब 38 साल के थे और इससे पहले भी उनकी शादी हो चुकी थी लेकिन पहली बीवी की मौत के बाद उन्होंने रुक़ैय्या से शादी की.सख़ावत को लड़कियों की पढ़ाई में ख़ासा इंटरेस्ट था और इस वजह से वो रुक़ैय्या को पूरा समर्थन दिया करते थे. 1909 में जब सख़ावत का इंतिक़ाल हुआ तो वो रुक़ैय्या के लिए काफ़ी पैसे छोड़ गए थे जिसका इस्तेमाल रुक़ैय्या ने लड़कियों की पढ़ाई के लिए किया. अपने शौहर की मौत के 5 महीने बाद ही उन्होंने सख़ावत मेमोरियल गर्ल्स हाई स्कूल की स्थापना की, उस वक़्त ये स्कूल भागलपुर में खोला गया था और तब इसमें सिर्फ 5 स्टूडेंट्स थे. अपने शौहर के परिवार से कुछ प्रॉपर्टी को लेकर हुए विवाद की वजह से उन्हें ये स्कूल 1911 में कलकत्ता शिफ्ट करना पड़ गया. ये स्कूल काफी मशहूर स्कूल माना जाता है और आज इसे पश्चिम बंगाल की सरकार चलाती है.

दिल की बीमारी की वजह से उनका इंतिक़ाल 9 दिसम्बर 1932 को हुआ.