कभी खुद एक मुस्लिम शरणार्थी थे, अब हैं कनाडा के शरणार्थी और नागरिकता मंत्री

पिछले मंगलवार को, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी फेयरवेल स्पीच में डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका के 45वे राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पैदा हुए राष्ट्रिय एकता के ऊपर खतरे की तरफ लोगों को आगाह किया। हम में से ज़्यादातर के लिए यह बेहद डरावना है, खास तौर पर मुसलमानों के लिए, ऐसे वक़्त पर बोर्डेर के दूसरी तरफ कनाडा में इसके उलट ख़बरें हैं जो हैडलाइन बन रही हैं। कनाडा के साउथ वेस्टन के सांसद, सोमालिया में पैदा हुए अहमद हुसैन को कनाडा का आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री बना दिया गया है।

पश्चिम में पिछले कुछ महीने से मुसलमानों पर हो रहे हमले के बीच यह एक सफलता है, उम्मीद है कि हुसैन की नियुक्ति मुसलमान मर्द और औरतों दोनों के लिए प्रेरणा बनेगी कि कुछ भी असंभव नहीं है।

हुसैन की कहानी उन कई लोगों की है जिन्होंने मेहनत और संघर्ष किया और बेहतर संभावनाओं की तलाश में कनाडा आये। मूल रूप से सोमालिया से एक शरणार्थी, अहमद 16 साल की उम्र में कनाडा के आये थे और उन्होंने हैमिल्टन में हाई स्कूल पास किया। यॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए वह अपनी फीस भरने के लिए एक गैस स्टेशन पर काम करते थे। इसके बाद उन्होंने ओटावा विश्वविद्यालय में लॉ की डिग्री हासिल की। जिसके बाद उन्होंने अपने समुदाय में गरीब लोगों के वकील के रूप में काम किया और यहां तक ​​कि एक आवासीय परियोजना को भी पुनर्जीवित किया।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रिदेऊ के सामने मौजूद अर्थव्यवस्था से सम्बंधित चुनौतियों के बीच, एक बात बिलकुल साफ़ है कि उनकी पार्टी विविधता और आप्रवासन के लिए खुले विचार रखती है। हुसैन ने अपनी नियुक्ति के बाद दिए अपने मेसेज में भी इस बात को कहा। उन्होंने कहा,”कनाडा की कहानी आप्रवासन की कहानी है, मुझे इस बात पर गर्व महसूस होता है कि प्रधानमंत्री ने मुझे इस ज़िम्मेदारी के लिए चुना है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका में मुसलमानों को आव्रजन नीतियों की वजह से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन कनाडा ने इन प्रवृत्तियों को ललकारा है। पिछले साल, कनाडा ने लगभग 40000 सीरियाई शरणार्थियों को जगह दी थी। 1972 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रिदेऊ के पिता पूर्व प्रधानमंत्री पिएरे इलियट त्रिदेऊ और उनकी सरकार ने युगांडन एशियाई शरणार्थियों को स्वीकार करना शुरू था, जिनमें से ज़्यादातर इस्लाम को मानने वाले थे। इनमें से लगभग 8000 ने 1974 तक कनाडा को अपना घर बना लिया था।

हुसैन की निजी कहानी, अनुभव और इन मामलों का ज्ञान इन स्तिथि के लिए नया और बेहतर नजरिया आएगा। ओटावा में हाउस ऑफ़ कॉमन्स के बाहर हुसैन ने कहा: “एक शरण की जगह के रूप में मुझे मेरे देश पर गर्व है, एक जगह जो आप्रवासियों और शरणार्थियों के लिए दरवाजे और दिल खुले रखती है, और मुझे इस पर अत्यंत गर्व है कि मुझे इसी काम की ज़िम्मेदारी दी गयी है”। 2017 के अंत तक, उनके मंत्रालय की कनाडा में 300,000 से अधिक नए स्थायी निवासियों को स्वीकार करने की योजना है।

मूल लेख mvslim.com पर प्रकाशित हुआ है। इसका हिंदी अनुवाद मुहम्मद ज़ाकिर रियाज़ ने किया है।