आईटी प्रमुख ‘इन्फोसिस’ ने मंगलवार को कहा है कि वह अमेरिका में एच 1-बी वीजा संबंधी मुद्दों पर काबू पाने के लिए अगले दो वर्षों में 10,000 अमेरिकी श्रमिकों को काम पर रखेगा। कंपनी ने अपने एक रिलीज में कहा कि वह अमेरिका में चार नए तकनीक और नवाचार केंद्र खोलेगा, जिसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन सीखना, उपयोगकर्ता अनुभव, उभरती हुई डिजिटल टेक्नोलॉजीज, क्लाउड और बड़े डेटा शामिल हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के वीसा मापदंडो को सख्त करने की कोशिशों के बाद भारतीय आईटी कंपनियां अपने व्यापार मॉडल को बदलने पर विचार कर रही हैं।
‘इंफोसिस’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ‘विशाल सिक्का’ ने एक बयान में कहा, “इंफोसिस अगले दो वर्षों में 10,000 अमेरिकी प्रौद्योगिकी श्रमिकों को भर्ती करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि हम अमेरिका में अपने ग्राहकों के लिए डिजिटल फ्यूचर्स का आविष्कार कर सकें।”
2016-17 के वित्तीय वर्ष में ‘इनफ़ोसिस’ का 10.2 अरब डॉलर, 60 प्रतिशत से अधिक का राजस्व उत्तरी अमेरिका के बाजार से आया था।
अपने चुनाव अभियान के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति ‘ट्रम्प’ ने कड़े आव्रजन कानूनों और स्थानीय नौकरियों की सुरक्षा का वादा किया था।
इसके अलावा, अमेरिका में एक कानून (लॉफग्रेन बिल) को पेश किया गया था जिसमें एच 1-बी वीज़ा धारकों की न्यूनतम मजदूरी को दोहरी कर 130,000 डॉलर करने का प्रस्ताव दिया गया है।
हाल ही में, ‘अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस)’ एक नीतिगत ज्ञापन के साथ आयी है जिसके कारण संभवत: भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों के लिए प्रवेश स्तर के पदों पर अमेरिका में काम करना मुश्किल हो जायेगा।
‘टीसीएस’,’इन्फोसिस’ और ‘विप्रो’ जैसी भारतीय कंपनियां जो वीजा पर निर्भर करती हैं वे अब अधिक स्थानीय लोगों को नौकरियां देने कर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
‘इनफ़ोसिस’ के चार केन्द्रो मे से पहला केंद्र अगस्त 2017 में इंडियाना में खोला जायेगा जिसके कारण उम्मीद है की 2021 तक 2,000 अमेरिकी श्रमिकों को नौकरियों मिल पाएंगी और जिससे इंडियाना की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा भी मिलेगा।