2008 के मालेगाँव बम विस्फोट में मंगलवार को एक नया मोड़ आया, एनआईए ने बम्बई उच्च न्यायलय को बताया की उसे भोपाल में हुयी साजिश बैठक की रिकॉर्डिंग टेप की कोई जानकारी नहीं है। इन रिकॉर्डिंग को महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में शामिल किया था और दावा किया था कि मुख्य आरोपी प्रज्ञा ठाकुर ने कथित रूप से इन बैठकों में हिस्सा लिया था।
अभी कुछ दिन पहले एनआईए ने यह कह कर सबको चौंका दिया था कि अगर प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव केस में ज़मानत मिलती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी।
महाराष्ट्र एटीएस, जिसने शुरुआत में इस मामले की जांच की थी उसने कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर ने अभिनव भारत संगठन के साथ भोपाल, इंदौर, फरीदाबाद, धर्मकोट और उज्जैन में इन षड्यंत्र बैठकों में हिस्सा लिया था।
इसमें दावा किया गया था कि प्रमुख गवाहों ने 11 अप्रैल, 2008 को भोपाल में एक बंद कमरे में बैठक में ठाकुर को साजिश के बारे में चर्चा करते सुना था।
एटीएस ने दावा किया था कि ठाकुर ने इस पहली बैठक में हिस्सा लिया था और आगे बताया था की इस बैठक और इससे पहले और बाद में हुयी बैठकों की रिकॉर्डिंग सह अभियुक्त सुधाकर दिवेदी ने अपने लैपटॉप में रखी थी।
न्यायमूर्ति आर वी मोरे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ आज ठाकुर की जमानत याचिका की सुनवाई कर रही थी, तब विस्फोट पीड़ितों की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता बी ए देसाई ने पीठ को इन बैठकों के बारे में जानकारी दी।
जब उच्च न्यायालय ने एनआईए से भोपाल की मीटिंग की रिकॉर्डिंग को प्रस्तुत करने के लिए कहा तो एजेंसी ने कहा की उसे इसके बारे में जानकारी नहीं है।
देश की आतंकवाद विरोधी जांच एजेंसी, एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि उनके पास केवल फरीदाबाद में एक कथित बैठक के टेप था और अगर किसी भी अधिक वीडियो रिकॉर्डिंग या टेप अस्तित्व में है, तब एटीएस उन्हें यह सौंपने में विफल रही थी।