एनआईए ने किया पक्षपात के आरोपों का खंडन, कहा गहन जांच में आया मालेगांव धमाकों में हिन्दू आतंकवादियों का नाम

 

मुंबई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को महाराष्ट्र एटीएस द्वारा मालेगांव 2006 विस्फोट मामले में आठ मुस्लिम व्यक्तियों के आरोपमुक्त होने को चुनौती देने के लिए दाखिल याचिका के जवाब में दायर अपने हलफनामे में “पूर्वाग्रह” के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है उन्होंने अपने निष्कर्षों को गहन जांच के आधार पर निकाला है।

इस वर्ष अप्रैल में, एनआईए द्वारा विस्फोटों के के पीछे हिंदू दक्षिणपंथी संगठन का हाथ बतया था जिसके बाद एक सत्र अदालत ने उन विस्फोटो के बाद से आतंवाद का आरोप झेल रहे आठ मुस्लिम व्यक्तियों को आरोपमुक्त कर दिया था।

इसके बाद एटीएस ने सत्र अदालत के आदेश को अवैध, अन्यायपूर्ण और रिकार्ड पर मौजूद साक्ष्य के खिलाफ जाता हुआ बता कर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। एटीएस ने कहा, “सत्र अदालत का निष्कर्ष कि मुसलमान मस्जिद के अन्दर विस्फोट नहीं करेगा यह बिलकुल गलत है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है”।

अपने हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि इन विस्फोटों में हिन्दू संगठन शामिल थे, यह निष्कर्ष गहन जांच के बाद निकाला गया था।

“यह कहना बिलकुल गलत है कि एनआईए ने एटीएस और सीबीआई द्वारा की गयी जांच के निष्कर्षों को नकारने की पूर्व निर्धारित गणना के तहत जांच की है,” एनआईए एसपी विक्रम खलाते ने हलफनामे में कहा।

हलफनामे में आगे कहा गया है कि एनआईए की जांच के अनुसार, मनोहर नरवारिया, राजेंद्र चौधरी, धन सिंह शिव सिंह, लोकेश शर्मा, रामचंद्र कलसांगरा, सुनील जोशी, रमेश महलकर, संदीप डांगे और कुछ अन्य लोगों ने मालेगांव में आतंकवादी कारनामों को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर जनवरी और सितंबर 2006 के बीच आपराधिक साजिश रची।

“इंदौर में प्रशिक्षण कैंप का आयोजन किया गया था जहाँ बम तैयार किये गए थे और इसके बाद मालेगाँव लाये गए थे। नरवारिया, चौधरी, सिंह और कलसांगरा ने मालेगांव में बम लगाए थे। एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बम सेट करने का उनका उद्देश्य हिन्दू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे कराना था”, हलफनामे में कहा गया।

हलफनामे में आगे मक्का मस्जिद ब्लास्ट में आरोपी स्वामी असीमानंद के एक बयान का हवाला दिया गया , जिसमें उसने मालेगांव विस्फोट को “अपने लड़कों” की करतूत बताया था।

अपने हलफनामे में एनआईए ने यह भी कहा कि एटीएस का दावा है कि आरोपी मोहम्मद जाहिद अंसारी ने 8 सितंबर 2006 को मालेगांव में बम लगाया था, यह बिलकुल गलत है।

“एनआईए जांच में यह पता चला है कि विस्फोट के दिन, अंसारी यवतमाल में था, जो विस्फोट स्थल से लगभग 400 किलोमीटर दूर है। बारह गवाहों ने इस का समर्थन किया है,” हलफनामे में कहा।

आगे यह भी दावा किया गया है कि शब्बीर बैटरीवाला, जिसने एटीएस के अनुसार विस्फोटकों की आपूर्ति की थी, अगस्त से सितम्बर 2006 तक वह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के गिरफ्तार करने के बाद वह न्यायिक हिरासत में था।

8 सितंबर 2006 को मालेगांव में बड़ा कब्रिस्तान मस्जिद के अंदर और मुशावरात चौक पर सीरियल ब्लास्ट में 30 से अधिक लोग मारे गए थे। इसमें 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे, जिसमें बच्चों की एक बड़ी संख्या शामिल थी।