एनकाउंटर वाक़ियात पर सुप्रीम कोर्ट की रोलिंग

फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स में हलाकतों की रोकथाम केलिये सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पोलीस फोर्सेस के लिये मुश्किलात खड़ी करदी हैं । जब कि दोनों रियासतों में जारीया साल 10 एनकाउंटर के वाक़ियात रेकॉर्ड किए गए हैं।

अगरचे कि पोलीस ओहदेदार बेशतर केसों में क़ानून ताज़ीरात हिंद के दफ़ा 307 ( इक़दाम-ए-क़तल ) के तहत मुतासरीन के ख़िलाफ़ एफ आई आर दर्ज किए हैं लेकिन एनकाउंटर के ज़िम्मेदार पोलीस फ़ोर्स के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाती जो कि बिला ख़ौफ़-ओ-ख़तर फायरिंग करदेते हैं।

सितम ज़रीफ़ी ये है कि पोलीस ओहदेदार उस वक़्त तक दफ़ा 302 पार्ट II ( क़तल-ए-आम ) या दफ़ा 302 ( क़तल ) के तहेत केस दर्ज नहीं करते तावक़तीका इस मुआमला में अदालत मुदाख़िलत नहीं करतीताहम सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसला से ये लाज़िम होगया है कि,

मुताल्लिक़ा पोलीस इस्टेशन में एनकाउंटर में मुलव्वस पोलीस अमला के ख़िलाफ़ एफ आई आर दर्ज किया जाये और एकआज़ाद तहक़ीक़ाती इदारा के ज़रीया तहकीकात का सामना करे।

वाज़ेह रहे कि साइबर आबाद पोलीस ने हाल ही में शमस आबाद के करीब एक बदनाम-ए-ज़माना रहज़न शेवाकुमार को मार गिराया था । जब कि तलाशी मुहिम के दौरान पोलीस के हाथ लगा था क़बलअज़ीं शाह मीर पैन में जाली करंसी की टोली पर पोलीस ने फायरिंग की थी ।