विक़ार अहमद और इस के साथीयों को मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर में हलाक किए जाने के इल्ज़ामात के पेशे नज़र रियासती पुलिस का फिर एक मर्तबा मुश्तबा रोल अदा होगया।
साल 1993 से अब तक सैंकड़ों मुस्लिम नौजवानों को आंध्र प्रदेश-ओ-तेलंगाना पुलिस ने इंतहापसंदों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के नाम पर उन्हें एनकाउंटरस में मौत के घात उतार दिया। अदलिया में मुस्लिम नौजवानों को इंसाफ़ मिलने के इमकानात रोशन होने के सबब पुलिस उन्हें गोली का निशाना बनाते हुए अपना मक़सद पूरा करती आरही है।
1993 से तेलुगु देशम हुकूमत से लेकर 2015तेलंगाना राष्ट्रीय समीती की हुकूमत तक मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ पुलिस-ओ-इंटेलिजेंस के नज़रिये में कोई तबदीली नहीं आई जबकि रियासत के मुसलमानों को तशकीले तेलंगाना के बाद हुकूमत की तरफ से उन्हें बेहतर इंसाफ़ मिलने की उम्मीदें दिखाई दे रही थीं कि अचानक पुलिस ने एनकाउंटर के नाम पर एक मर्तबा फिर अपने मंसूबे के तहत नौजवानों को मौत की नींद सुला दिया। एनकाउंटरस में जुलाई 1993 को फ़सीह मुतवत्तिन ज़िला नलगेंडा को एनकाउंटर में हलाक कर दिया गया था जबकि /6 अप्रैल 2000 को जगत्याल में गोली मार दी गई थी।
इसी तरह नवंबर 2002 में साई बाबा मंदिर धमाके में मुबय्यना तौर पर शामिल होने के इल्ज़ाम में पुलिस ने मलकपेट के नौजवान सय्यद अज़ीज़ और इस के साथी आज़म को करीमनगर और ऊपल में गोली मारकर एनकाउंटर कर दिया था।
अक्टूबर 2004 -ए-में मुत्तहदा आंध्र प्रदेश पुलिस की मदद से गुजरात पुलिस की एक टीम ने सईदाबाद के एक नौजवान मुजाहिद सलीम आज़मी को एनकाउंटर में हलाक कर दिया था और अब विक़ार अहमद और इस के चार साथें को पुलिस पार्टी पर हमला करने के इल्ज़ाम में एक एनकाउंटर में हलाक कर दिया गया जो फ़र्ज़ी बताया जाता है।