एन डी तीवारी को ख़ून का नमूना देने सिर्फ दो रोज़ की मोहलत ( समय)

दिल्ली हाइकोर्ट ने आज मुअम्मर (बूढे/ज़ईफ) कांग्रेसी क़ाइद एन डी तीवारी को इंतिबाह (चेतावनी) देते हुए कहा कि वो अंदरून दो यौम ( दो दिन के अंदर) अदालत को खबर करें कि मौसूफ़ पिदर्यित (बाप बेटे का संबंध) के एक तनाज़ा में DNA टेस्ट के लिए अपने ख़ून का नमूना देने तैयार हैं या फिर इसके लिए पुलिस फ़ोर्स का इस्तेमाल किया जाए ? जस्टिस रीवा खीतरा पाल (Justice Reva Khetrapal) ने 86 साला क़ाइद के वकील को भी वज़ाहत कर दी कि इन के मुवक्किल को उस वक़्त तक हिंदूस्तान छोड़ने की इजाज़त नहीं होगी जब तक वो DNA टेस्ट के लिए अपने ख़ून का नमूना नहीं दे देते।

याद रहे कि एन डी तीवारी यूपी और उत्तराखंड के साबिक़ वज़ीर-ए-आला रह चुके हैं, को क़ब्लअज़ीं हाइकोर्ट ने DNA टेस्ट के लिए अपने ख़ून का नमूना देने की हिदायत की थी। जस्टिस खीतरापाल ने कहा कि मुअम्मर (ज़ई/बूढे) क़ाइद को सिर्फ 16 मई तक की मोहलत दी जा रही है कि वो अपने ख़ून का नमूना दें।

इस सिलसिले में अदालत ने हैदराबाद में वाके ( स्थित/ मौजूद) सेंटर फ़ार डी एन ए फ़िंगर प्रिंटिंग ऐंड डायग्नॉस्टिक़्स (CDFD) को भी हिदायत की है कि ख़ून का नमूना हासिल करने दरकार किट्स कोर्ट के रजिस्ट्रार को रवाना की जाए। क़ब्लअज़ीं ( इससे पहले) मिस्टर तीवारी के वकील ने ख़ून के नमूने के लिए एक हफ़्ता की मुहलत तलब की थी जिसे अदालत ने मुस्तर्द कर दिया था।

वकील ने इस्तेदलाल (दलील) पेश किया था कि इन के मुवक्किल ( जो अपना मुकददमा वकील को देता है ) फ़िलहाल देहरादून में हैं और उन की इजाज़त लेने के लिए दो दिन नाकाफ़ी ( काफी नही) होंगे। अदालत ने अपना हुक्मनामा सुनाते हुए वाज़िह (सपष्ट) कर दिया कि इस मुआमले पर चूँकि इस अदालत की डीवीजन बेंच ने पहले ही फ़ैसला कर लिया है लिहाज़ा ( इसलिए/अत:) उसे मज़ीद ( और भी) लेत-ओ-लाल ( टाल मटोल ) में डालने की चंदाँ (ज़रा भी) ज़रूरत नहीं है।