एन सी टी सी का क़ियाम वक़्त की अहम ज़रूरत

क़ौमी सतह पर इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी (आतंकवाद को ख़त्म करने )मर्कज़ ( एन सी टी सी ) के क़ियाम की ताईद करते हुए चीफ मिनिस्टर मिस्टर एन किरण ) कुमार रेड्डी ने आज कहा कि मर्कज़ी हुकूमत जो मर्कज़ क़ायम करने की तजवीज़ रखती है वो दर असल दहश्त गरदाना तशद्दुद (हमाला)(हमला) के ख़िलाफ़ सख़्ती से निमटने की एक मुनज़्ज़म पहल क़रार दी जा सकती है । मिस्टर किरण कुमार रेड्डी नई दिल्ली में वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह की सदारत में मुनाक़िदा कुल जमाती इजलास से ख़िताब कर रहे थे ।

उन्हों ने कहा कि इस मर्कज़ के क़ियाम के नतीजा में दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) (आत्नंकवाद) से दरपेश होने वाले ख़तरात का जायज़ा लेते हुए और तमाम रियासतों और एजंसियों के माबेन इत्तिलाआत(इनफामेशन) का तबादला अमल में लाते हुए दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से निमटने की क़ौमी कोशिशों में मदद मिल सकती है । इस मर्कज़ के क़ियाम के ज़रीया दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से निमटने की कोशिशों में यकसानियत और इत्तिहाद पैदा होसकता है ।

उन्हों ने कहा कि इन सी टी सी के क़ियाम के नतीजा में दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से मुताल्लिक़ तमाम इत्तिलाआत को यकजा करने और दहश्त गरदाना तशद्दुद (हमाला) के वाक़ियात से मुताल्लिक़ डाटा को जमा करने में भी मदद मिल सकती है । इस के इलावा मुस्तक़बिल में भी दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से निमटने के लिए तमाम इंटेलिजेंस इत्तिलाआत का एक दूसर से तबादला अमल में लाने इन का जायज़ा लेने और यकजहती के साथ काम करने का मौक़ा मिल सकता है ।

मिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने कहा कि बाअज़ रियासतों की जानिब से ये एतराज़ात किए जा रहे हैं कि इस मर्कज़ के क़ियाम के ज़रीया मर्कज़ी हुकूमत को किसी भी रियासत में तलाशी लेने ज़बती (कुर्की ) अमल में लाने और गिरफ्तारियों के इख़्तयारात हासिल हो जाएंगे जो दर असल रियासतों के इख़्तेयारात में मुदाख़िलत के मुतरादिफ़ है । उन्हों ने कहा कि हक़ीक़त ये है कि मर्कज़ी एजंसियों को क़ानून इन्सिदाद-ए-दहशतगर्दी सरगर्मियां के तेहत पहले ही ये इख़्तयारात हासिल हैं।

इस में वक़फ़ा वक़फ़ा से तब्दीलियां अमल में लाई जाती हैं ताकि ज़रूरत के मुताबिक़ गुंजाइश इस में फ़राहम की जा सके । उन्हों ने कहा कि इन सी टी सी के क़ियाम के ज़रीया इस बात को यक़ीनी बनाना चाहीए कि उसे उसी सूरत में ख़ास इख़्तेयारात हासिल होने चाहिऐं जब इस बात का अंदेशा (फिकर) है कि आतंकी हमला करने वाले होँ यह बच निकलने वाले होँ यह फिर मुल्क से फ़रार होने का अंदेशा हो ।

उन्हों ने कहा कि एक उसे वक़्त में जब कि मुल्क को आतंकी तशद्दुद (हमाला) की वजह से संगीन ख़तरा लाहक़ है एन सी टी सी के क़ियाम की तजवीज़ बरवक़्त और मुनज़्ज़म साबित हो सकती है । उन्हों ने मिसाल पेश की कि इन सी टी सी भी दूसरी मर्कज़ी एजंसियों जैसे इन आई ए की तरह काम कर सकती है । एन आई ए मुल़्क की मुख़्तलिफ़ रियासतों में पेश आए कई दहश्त गरदाना (आतंकी)वाक़ियात की तहकीकात कर रही है ।

इसी सूरत में एक वाहिद और मूसिर कंट्रोल-ओ-राबिता को यक़ीनी बनाने एन सी टी सी का क़ियाम वक़्त की अहम ज़रूरत है ताकि दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से मूसिर अंदाज़ में निमटा जा सके । उन्हों ने कहा कि आतंकी जो कार्यवाइयां करते हैं वो किसी तरह की सरहदात के ताबे (गुलाम)नहीं होतीं और ये आतंकी ज़िला रियासत और मर्कज़ी सतह पर राबतों के फ़ुक़दान की वजह से पैदा होने वाली कमज़ोरी का फ़ायदा उठाते हुए अपने मक़ासिद में कामयाब होजाते हैं।

हिंदूस्तान में दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से मूसिर अंदाज़ में निमटने के लिए एक क़ौम की हैसियत में हमें रियासतों की सरहदात से आगे सूचना चाहीए ताकि दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से निमटने वाली एजंसियों के माबेन (दरमियान)राबतों और बेहतर ताल मेल को यक़ीनी बनाया जा सके। उन्हों ने कहा कि हमें दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से निमटने के लिए मूसिर इक़दामात की ज़रूरत है और हमें इस के चैलेंजस को सियासी मसाइल के तौर पर नहीं देखना चाहीए ।

उन्हों ने कहा कि दहश्तगरदों की जानिब से 100 मर्तबा कार्यवाईयों की कोशिश को होसकता है कि 99 मर्तबा सिक्योरिटी एजंसियां नाकाम बनादें ताहम एक मर्तबा भी वो एसा करने में कामयाब ना हो सकें तो इस से बड़ी तबाही आसकती है और हिंदूस्तानी समाज मुतास्सिर होसकता है । उन्हों ने कहा कि दहश्त गरदाना (आतंकी)हमलों के जो असरात होते हैं वो सिर्फ़ इंसानी जानों के नुक़्सान तक महदूद नहीं होते बल्कि इस से सारी क़ौम की नफ़सियात पर असर होता है ।

ये जिस्मानी और जज़बाती दोनों तरह का होता है । मिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने कहा कि इन सी टी सी की वजह से रियासतों के इख़्तयारात में मुदाख़िलत की जो बात कही जा रही है वो मुनासिब नहीं है । मर्कज़ी तहक़ीक़ाती एजंसियों को पहले ही रियासतों में ज़बती (कुर्की ) गिरफ़्तारी और तलाशी वगैरह के इख़्तयारात हासिल हैं और उन सी टी सी का क़ियाम इन इख़्तयारात को अमल में लाने और उन पर अमल करने से मुताल्लिक़ है ।

एन सी टी सी के क़ियाम का मक़सद दहश्तगर्दी (आतंकवाद ) से बरवक़्त और मूसिर अंदाज़ में निमटना है । जहां तक गिरफ्तारियों ज़बती (कुर्की ) यह तलाशी का सवाल है तो ये काम मूसिर अंदाज़ में किया जा सकता है । एन सी टी सी के ओहदेदार को इस सिलसिला में करीबी पुलिस इस्टेशन के इस उच्च ओ से रुजूहोना चाहीए जिसे अपने हदूद में क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करने का मुकम्मल इख़तियार हासिल है ।

एसा करने से रियासतों के इख़्तयारात में मुदाख़िलत से मुताल्लिक़ तमाम अंदेशे बे बुनियाद साबित होजाते हैं। महिज़ मख़सूस सूरतों में इस अमल से बचा जा सकता है जबकि दीगर तमाम तरह की सूरत-ए-हाल में इंटेलिजेंस एजंसियां मुक़ामी पुलिस की मदद लेने की पाबंद हैं।

इन सी टी सी के तहत जिस असटानडनग कौंसल के क़ियाम कीतजवीज़ है इस में मर्कज़ी इंटेलिजेंसएजंसियों के इलावा रियासतों के ओहदेदार भी शामिल रहेंगे इस तरह बैन रियासती और मर्कज़ ।

रियासत राबिता मूसिर होसकेगा और आतंकी कार्यवाईयों को रोकने में मरबूत इक़दाम किए जा सकें गे। उन्हों ने कहा कि जहां तक मर्कज़ी हुकूमत पर रियासतों के इख़्तयारात में मुदाख़िलत के अंदेशे हैं इस की कोई ख़ास बुनियाद नहीं है । उन्हें यक़ीन है कि इन सी टी सी के क़ियाम के बाद ये मर्कज़ दूसरी मर्कज़ी एजंसियों की तरह पुर सुकून अंदाज़ में काम कर सकेगा।