एमआरपी से 50 फीसद कम पर जेनरिक दवा

रांची 22 अप्रैल : जेनरिक दवाएं सस्ती होती हैं, पर मालूमात की अदम मौजूदगी में लोगों को सस्ती दवा महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है। दवा दुकानदार सस्ती दवा को एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) पर फ़रोख्त करते हैं, जबकि दवा का मुन्शियात कीमत कम होता है।

आम आदमी को सस्ती दवा पहुंचाने का बीड़ा एक दवा मुन्शियात फरोश राहुल गुप्ता ने उठाया है। उनकी दवा दुकान बूटी मोड़ में है। यह दुकान दिसंबर, 2012 में खोली गयी है। दवा वह अपनी दुकान में जेनरिक दवा ही फरोख्त करते हैं। दुकान पर आनेवाले सार्फिन को असल कीमत से 50 फिसद कम कीमत पर दवा फराहम कराते हैं। वहीं, दूसरी दवा दुकानों में जेनरिक दवा एमआरपी पर मिलती है।

फिर भी 30 फिसद की बचत
दवा बेचनेवाले राहुल गुप्ता ने बताया कि 50 फिसद सस्ती जेनरिक दवा लोगों को फराहम कराने के बाद भी उन्हें 30 फिसद तक बचत हो जाती है। पर, सस्ती दवा बेचने के एवज में उन पर आसपास के दवा दुकानदारों से बहुत कंप्टीशन करना पड़ता है। दीगर दवा दुकानदार यह कह कर लोगों को गुमराह करते हैं कि यह दवा नकली है।

ब्रांडेड कंपनियां भी बनाती है
ब्रांडेड कंपनियां भी जेनरिक दवा बनाती हैं। दवा का एमआरपी ज्यादा होता है, लेकिन उसकी असल कीमत बहुत कम होती है। एंटीबॉयोटिक दवा सिप्राफ्लोक्सीन को केडला कंपनी बनाती है। यह दवा जेनरिक है। इसका एमआरपी 64 रुपये है, लेकिन इसकी असल कीमत 23 रुपये है। 50 फिसद कम कीमत पर दवा फराहम कराने के बावजूद दुकानदार को 10 रुपये की बचत होती ।

इन बीमारियों की है दवा
ब्लड प्रेशर, सुगर, मलेरिया, टायफाइड, डायरिया, सर्दी, खांसी, इंटीबायोटिक, दर्द की दवा, विटामिन व बुखार।