एमार( EMAAR) प्रापर्टीज़ स्क़ाम

आंधरा प्रदेश में स्क़ाम्स का सिलसिला वार इन्किशाफ़ अवाम के लिए एक घुटन और आज़माईशों का मसला बन रहा है। रियास्ती ख़ज़ाना को नुक़्सान पहूँचा कर ज़िम्मेदार अफ़राद ने अपनी महफिलें सजाई थीं। रियासत में मुस्लमानों की क़ीमती ओ क़ाफ़ी जायदादों पर हाथ साफ़ करने वालों का पर्दा फ़ाश हो जाना सयासी क़ियादत के गुमराह कुन रवैय्या को भी ज़ाहिर करता है।

मुस्लमानों की क़ीमती ओ क़ाफ़ी जायदादें एक के बाद एक हड़प कर ली जाती रहें और एक मुस्लिम क़ियादत मर्कज़ और रियास्ती सतह पर हुकमरानों का साथ दे कर उस की ख़राबियों और ओक़ाफ़ी जायदादों की चोरियों की बज़ाहिर फ़रीक़ बन कर पर्दापोशी करती रही। एमार टाउनशिप और गोल्फ कोर्स स्क़ाम मैं रियास्ती मोतमिद दाख़िला और आई ए एस ओहदेदार बी पी आचार्य को उन के मुबय्यना मुलव्वस होने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार कर लिया गया।

आंधरा प्रदेश इंडस्ट्रीयल इ‍फ्रास्ट्रकचर कारपोरेशन (APIIC) के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर की हैसियत से आचार्य ने रियास्ती हिस्सादारी को कम करते हुए एमार हिलज़ टाउन शिप के साथ मुशतर्का वनचर में मुनाफ़ा कमाया और रियास्ती ख़ज़ाना को 4000 करोड़ का नुक़्सान पहूँचा या।

सी बी आई ने नानक राम गौड़ा मनी कोंडा में बनाए जाने वाले एमार टाउन शिप और गोल्फ कोर्स की अराज़ी और विलास की तामीर के नाम पर रियास्ती हुकूमत के साथ की गई धोका दही का पता चलाया है। इस केस में ओक़ाफ़ी जायदादों को अंधा धुंद तरीक़ा से हड़प लेने का अहम मसला भी सामने आता है।

दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली  ( र०) की अराज़ी को सरमाया कारों के हवाले करने के पीछे हुक्मराँ जमात और इसके पिट्ठू ताक़तों की सरगर्मीयों में सिर्फ बी पी आचार्य ही नहीं बल्कि इस में हुकूमत का तमाम निज़ाम मुलव्वस नज़र आता है। वाई एस आर की हुकूमत में शामिल बाज़ मुस्लिम क़ाइदीन और वुज़रा ने भी ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही का मुशाहिदा और इस्तेफ़ादा करने वालों में शामिल हैं।

एमार प्रापर्टीज़ को हवाले कर्दा अराज़ी में दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (र्०) से वाबस्ता अराज़ी भी शामिल है। मनी कोंडा जागीर में 1654 एकड़ 32 गुनटे अराज़ी थी जिस का एक बड़ा रकबा ख़ानगी मल्टीनेशनल कंपनीयों को कोड़ीयों के दाम फ़रोख्त किया गया। इस ताल्लुक़ से अख़बार सियासत ने कई मौक़ों पर बदउनवानीयों और ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही से मुताल्लिक़ सच्चाई को मुनकशिफ़ करता रहा लेकिन हुक्मराँ तबक़ा और इस से वाबस्ता मुस्लिम क़ियादत ने अपनी चालाकियों के ज़रीया मुस्लमानों की जायदादों की तबाही से मुताल्लिक़ ख़बरों को दबा कर अवाम को तारीकी में रखने की कोशिश की।

ये सभी जानते हैं कि रियासत में ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही में हुक्मराँ सियासतदानों का अहम रोल है। आई ए एस ओहदेदारों को तो सिर्फ उन की ख़ामोशी और पर्दापोशी के लिए अदा कर्दा रोल का हिस्सा मिला है। सब से बड़े शार्क तो सियासतदां और उन से वाबस्ता डेवलपर्स-ओ-बिल्डर्स हैं। सी बी आई ने एमार प्रापर्टीज़ केस में जगन मोहन रेड्डी के साथ विजय साई रेड्डी को हिरासत में लिया है।

रियासत में ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही की फ़हरिस्त तवील है अगर इस का एमानदाराना, दयानतदाराना जायज़ा लिया जाय तो पता चलेगा कि मुस्लमानों की खरबों करोड़ों की जायदादों को हुक्मराँ तबक़ा ने हड़प लिया और मुस्लमानों को कंगाल बना दिया है। शहर की क़ीमती जायदादों को कोड़ीयों के दाम फ़रोख़त करने का मुआमला इस लिए उठाया गया क्यों कि इस स्क़ाम के ज़रीया सरकारी ख़ज़ाना को भी नुक़्सान पहूँचा या गया।

हुक्मराँ पार्टी के क़ाइदीन ने आला ओहदेदारों को इस्तेमाल करते हुए बदउनवानीयाँ की हैं। सयासी तौर पर वाबस्तगी रखने वाले डेवलपर्स जैसे  स्टैलस होम्स (stylush homes)  के डायरेक्टर टी रंगा राव को फ़ायदा हासिल हुआ तो जगन मोहन रेड्डी भी अपने मददगार सुनील रेड्डी के ज़रीया मुनाफ़ा कमाया।

एमार एम जी एफ़ को आंधरा प्रदेश इंडस्ट्रीयल इंफ्रास्ट्रकचर कारपोरेशन APIIC ने अपना पार्टनर बनाया लेकिन बादअज़ां हुकूमत के हिस्सा को 26 फ़ीसद से घटाकर 5 फ़ीसद कर दिया गया और अराज़ी पर तामीर किए जाने वाले मकानात वलाक़ो रियास्ती इदारा के इलम में लाए बगै़र एक ख़ानगी कंपनी को फ़रोख़त की ज़िम्मेदारी दी गई इस मुआमला की पर्दापोशी करने केलिए APIIC के नायब चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर की हैसियत से बी पी आचार्य ने अहम रोल अदा किया।

सी बी आई ने एमार प्रापर्टीज़ स्क़ाम में अब तक चार अफ़राद को गिरफ़्तार किया है इन में दुबई के बिल्डर को निरूपमा राव जगन के साथी सुनील रेड्डी और एमार एम जी एफ़ के फ़ीनानस साउथ के सरबराह जी ए विजया राघवन भी शामिल हैं। स्क़ाम्स के असल ख़ातियों तक सी बी आई के हाथ नहीं पहूंचे हैं।

ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही का जायज़ा लेने केलिए अगर हुकूमत दयानतदार मुज़ाहरा करे तो सरकारी ख़ज़ाना के साथ साथ मुस्लमानों के इमलाक की तबाही की भी वाज़िह रिपोर्ट सामने आएगी। सरकारी ख़ज़ाना को नुक़्सान पहूँचाने वालों ने सरकार के असल अहकामात से इन्हिराफ़ किया है।

याददाश्त मुफ़ाहमत और इश्तिराकीयत के मुआहिदा में जिस तरह की साज़िश की गई उस की गहराई से तहक़ीक़ात की जाएं तो कई चेहरे बेनकाब होंगे। एमार प्रापर्टीज़ से होने वाले नुक़्सान का सी बी आई ने 4000 करोड़ रुपय अंदाज़ा किया है जबकि वो अब तक सिर्फ 100 करोड़ के ख़सारा का पता चला सकी है।

इस प्रोजेक्ट से मुताल्लिक़ 2002 के जी ओ और 2003 के इश्तिराकीयत मुआहिदे के बाद जिस तरह की धांदली की गई है इस के लिए कांग्रेस ज़ेर क़ियादत वाई एस आर हुकूमत ज़िम्मेदार मालूम होती है क्योंकि 2005 को एमार और APIIC के दरमयान एक ज़िमनी मुआहिदा किया गया।

दिसम्बर 2005 में बी पी आचार्य को APIIC का डायरेक्टर बनाया गया जिस के बाद एक एक करके कई बदउनवानीयों की गईं और मुआहिदा से हट कर ग़लत फ़ैसले किए गए जिस को नजरअंदाज़ करते हुए आचार्य ने टाउन शिप प्रोजेक्ट और गोल्फ कोर्स की मुआमलत में होने वाली बे क़ाईदगियों पर एतराज़ नहीं उठाया।

इन के मुजरिमाना रोल ने ब्योरोक्रेट्स की दियानतदारी फ़र्ज़शनासी पर दाग़ लगाया है । सी बी आई को इस तरह कई मुआमलों का पर्दा फ़ाश करने ख़ातियों को इंसाफ़ के कठहरे में लाने की ज़रूरत है।