नई दिल्ली: एयर इंडिया को हुकूमत के ज़रीये तशकील करदा एक कमेटी ने बजट एयर लाइंस मॉडल से सबक़ लेने की सलाह दी है। कमेटी ने तजवीज़ किया है कि एयर इंडिया को अपनी बचत में इज़ाफ़ा और अख़राजात में कमी के लिए इस तरह के मॉडल से सीखना चाहिए।
अहमदाबाद के प्रोफ़ैसर रवींद्र ऐच ड्रमर की क़ियादत वाली एक कमेटी ने एयर लाईन को अपने शरमबल को मुनासिब बनाने के लिए तकनीकी सलाहीयत एडिट कराने का मश्वरा दिया है। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कर दी।
सरकारी ज़राए ने बताया कि इस एडिट से ये तै होगा कि क्या मुलाज़मीन के लिए रज़ाकाराना रिटायरमैंट स्कीम (वयारेस) पेश की जाये या मुलाज़मीन को इधर – उधर किया जाये या फिर मुलाज़मीन की तादाद में कमी की जाये। ड्रमर कमेटी का क़ियाम जनवरी में किया गया था।
कमेटी को आलमी सतह पर अपनाए गए तरीक़ों के मुताबिक़ एयर इंडिया को अपनी बचत में इज़ाफ़ा और अख़राजात में कमी पर तजावीज़ देने थे। कमेटी को एयर लाईन को उस की रोज़ाना के 14 करोड़ रुपय के ऑपरेशनल नुक़्सान को कम करने के इक़दामात भी तजवीज़ थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कल शहरी हआ बाज़ी के वज़ीर अजीत सिंह को सौंपी।
ज़राए ने बताया कि कमेटी ने कल 46 सिफ़ारिशात की हैं। इन में एक तजवीज़ ये है कि एयर इंडिया हुकूमत से 10,000 करोड़ रुपय की कर आज़ाद बांड जारी करने की इजाज़त ले जिस से उसे अपने बुलंद लागत के क़र्ज़ के बोझ को कम कर सके।
ज़राए ने कहा कि कमेटी ने इक़तिसादी लिहाज़ से रास्तों पर परवाज़ें ख़त्म करने का मश्वरा दिया है। इस तरीक़े से कंपनी को सालाना 600 करोड़ रुपय की बचत होगी। इस के अलावा ईंधन महारत से भी कंपनी सालाना 400 करोड़ रुपय तक बचा सकती है।
ज़राए ने कहा कि मुसाफ़िर एजैंटों से टिकट खरीदते हैं। एयर लाईन को उनको एक फ़ीसद कमीशन देना पड़ता है। ड्रमर कमेटी ने मश्वरा दिया है कि एयर इंडिया सिफ़र कमीशन को अपनाए। आलमी सतह पर भी इसी तरह का इंतेज़ाम चलन में है। एजैंट इस के इव्ज़ में सर्विस की फैसले सकते हैं।