एर्दोगन के नेतृत्व में मुस्लिम देशों ने की बैठक, फलस्‍तीनीयों की सुरक्षा के लिए की यह मांग

इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिका ने अपनी इसरायली एम्बेसी को तेल अवीव से जेरुसलम में शिफ्ट किया था, जिसके बाद गाजा में फिलिस्तीनियों ने विरोध प्रदर्शन किया।

विरोध प्रदर्शन के दौरान इसरायली सैनिकों ने 60 से अधिक फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया जिसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति ने कल 18 मई को इस्तांबुल में एक आपातकालीन बैठक आयोजित की थी। जिसमे चालीस देशों के नेता पहुंचे थे।

शुक्रवार को इस्तांबुल में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने मुस्लिम नेताओं का एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया था, जिसका अहम् मुद्दा फिलिस्तीन था। मुस्लिम नेताओं की इस आपातकालीन बैठक में मुस्लिम नेताओं ने इजरायल की दरिंदगी के लिए अंतरराष्ट्रीय बल की मांग की।

इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) संगठन के नेताओं ने कहा की इजरायल ने कम से कम 60 नागरिकों की हत्या की है और यह हत्या जानबूझकर की गयी, क्योंकि सोमवार को वह अपनी जमीन के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

उन्होंने कहा की “फिलिस्तीन की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सेना भेजी जाए।

मिडिल ईस्ट ऑय की खबरों के अनुसार बयान ने यह भी कहा गया की ” वाशिंगटन फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के कार्यों में जटिल था। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन के समर्थन के साथ इजरायली बलों द्वारा किए गए क्रूर अपराधों” की निंदा की।

जैसा की हमने आपको पहले भी बताया था की तुर्की में आयोजित यह दूसरी आपातकालीन ओआईसी बैठक थी, इससे पहले एर्दोगान ने दिसंबर 2017 में इस्तांबुल में शिखर सम्मेलन आयोजित किया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जेरुसलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी।

ओआईसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि “इस कदम ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजराइल के बुरे व्यवहारों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने अन्य देशों को चेतावनी भी दी की वह अपनी एम्बेसी को अमेरिका की तरह तेल अवीव से जेरुसलम में ना ले जायें।