नई दिल्ली 31 अक्तूबर (पी टी आई) प्रैस कौंसल आफ़ इंडिया के चेयरमैन मारकंडे काटजू ने कहा कि एलेकटरानिक मीडीया मुस्लमानों को बदनाम कर रहा है, इस पर लगाम लगाना ज़रूरी है।वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह को मकतूब लिख कर उन्हों ने तजवीज़ पेश की है कि एलेकटरानिक मीडीया को भी प्रैस कौंसल के दाइरा-ए-कार में लाया जाना चाहीए और प्रैस कौंसल को मज़ीद इख़्तयारात भी दिए जाएं।
काटजू ने करण थापर के प्रोग्राम डेविल्स ऐडवोकेट प्रोग्राम सी एन एन आई बी उन को इंटरव्यू देते हुए कहा कि मैंने वज़ीर-ए-आज़म को मकतूब लिखा है कि एलेकटरानिक मीडीया को प्रैस कौंसल के दायरे में लाया जाना चाहीए और इस को मीडीया कौंसल क़रार दिया जाना चाहीए और हमें मज़ीद इख़्तयारात दिए जाएं। ऐसे इख़्तयारात, जिसे इंतिहाई नाज़ुक हालात में वो उसे इस्तिमाल करसकें।
काटजू ने कहा कि उन्हें वज़ीर-ए-आज़म की जानिब से एक मकतूब मौसूल हुआ है कि इन का मकतूब उन्हें मिला और वो इस पर ग़ौर कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के साबिक़ जज ने कहा कि उन्हों ने अप्पोज़ीशन लीडर सुषमा स्वराज से भी मुलाक़ात की है और उन्हों ने भी मुझ से कहा है कि वो इस मसला पर इत्तिफ़ाक़ राय पैदा करेंगी। करण थापर ने काटजू से सवाल किया कि आया वो प्रैस कौंसल के लिए मज़ीद इख़्तयारात चाहते हैं ?।
उन्हों ने जवाब दिया कि मैं ऐसे इख़्तयारात चाहता हूँ, जिस से सरकारी इश्तिहारात रोक दूं। मैं बाअज़ अबतर हालात में मीडीया के रवैय्या के ख़िलाफ़ कुछ मुद्दत के लिए कार्रवाई करते हुए इस का लाईसैंस मुअत्तल कुर्दों और मीडीया पर जुर्माना आइद करूं। काटजू ने मज़ीद कहा कि ये तमाम इक़दामात सिर्फ़ इंतिहाई नाज़ुक और अबतर सूरत-ए-हाल में किए जाएंगे। इन इक़दामात का मतलब ये नहीं कि मीडीया की आज़ादी को ख़तरा लाहक़ होगा।
जमहूरीयत में हर एक जवाबदेह है, आज़ादी क़तई नहीं होती। हर आज़ादी के लिए वाजिबी पाबंदीयां होती हैं, में भी जवाबदेह हूँ, आप भी जवाबदेह हैं। हम तमाम अवाम के सामने जवाबदेह हैं। काटजू ने मीडीया के मयार के बारे में कहा कि इस ताल्लुक़ से मेरी राय बहुत कमज़ोर है। मीडीया को अवाम के मफ़ाद के लिए काम करना होगा। ये लोग अवामी मफ़ादात के लिए काम नहीं कर रहे हैं। बाअज़ औक़ात वो अवाम दुश्मन मुआमलों के ख़िलाफ़ मुसबत काम भी करता है। हिंदूस्तानी मीडीया अक्सर अवाम दुश्मन रोल अदा करता है।
अगर असल मसाइल से अवाम की तवज्जा बार बार हटाई जाय तो हालात की अबतरी संगीन नौईयत इख़तियार कर जाय गी और मआशी बुनियादें खोखली हो जाएंगी। मलिक की 80 फ़ीसद आबादी ख़तरनाक ग़ुर्बत ज़दा ज़िंदगी बसर कर रही है। बेरोज़गारी बढ़ चुकी है। क़ीमतों में इज़ाफ़ा का सामना है। सेहत के मसाइल संगीन हो रहे हैं। आप लोग (मीडीया) एवन मसाइल से अवाम की तवज्जा हटाने का काम करते हैं।
फ़िल्म स्टारस और फ़ैशन शूज़ के परेड मुनाक़िद करने की बजाय अवाम के मसाइल पेश करना चाहिये। प्रैस कौंसल के चेयरमैन ने कहा कि मुल्क में जब कभी और कहीं बम धमाके होते हैं, मसलन मुंबई, दिल्ली, बैंगलौर में धमाकों के चंद घंटों के अंदर ही तक़रीबन हर टी वी चैनल ये ज़ाहिर करना शुरू करदेता है कि उसे एक ई मेल दस्तयाब हुआ है या ऐस ऐम ऐस मौसूल हुआ है कि इस धमाका की ज़िम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन या जैश मुहम्मद या हरकत अलानसार ने क़बूल करली है, या धमाकों के फ़ौरी बाद बाअज़ मुस्लिम नामों का ऐलान करदिया जाता है।
आप ने देखा होगा कि धमाकों के फ़ौरी बाद ई मेल या ऐस ऐम ऐस मौसूल होने का दावा किया जाता है, लेकिन ये किसी शरपसंद शख़्स का रवाना करदा हो सकता है, मगर आप लोग टी वी चैनलों पर बताते हैं कि धमाकों के पीछे मुस्लिम हाथ है और मुनज़्ज़म अंदाज़ में धमाकों के वाक़ियात की रिपोर्टिंग करके ये बावर कराने की कोशिश की जाती है या क़ौम को ये पयाम दिया जाता है कि तमाम मुस्लमान दहश्तगर्द हैं और बम फेंकने वाले मुस्लमान हैं।
आप लोग मुस्लमानों को बदनाम कर रहे हैं। तमाम तबक़ात के 99 फ़ीसद अफ़राद अच्छे शहरी होते हैं, मैं समझता हूँ कि अवाम को मज़हबी ख़ुतूत पर मुनक़सिम करना मीडीया की दानिस्ता हरकत होती है और ये हरकत सरासर क़ौमी मुफ़ादात के मग़ाइर(खिलाफ) है। उन्हों ने टी वी मुबाहिस को भी फ़ुज़ूल और बकवास क़रार दिया, जिस में कोई डिसिप्लिन या पैनल अरकान में क़ायदा क़ानून का फ़ुक़दान पाया जाता है।