एसआईटी ने बंद हो चुके मुक़द्दमे में मुहम्मद ग़ौस को गिरफ़्तार किया

हैदराबाद 28 जुलाई: स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एस आई टी ) की मन-मानी और मख़सूस तौर पर किसी को निशाना बनाने की पालिसी पूरी तरह बे-नक़ाब हो गई।

साबिक़ कॉर्पोरेटर मुहम्मद ग़ौस को एसआईटी ने एक एसे मुक़द्दमा में गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया जो मुक़द्दमा चार माह पहले ही बंद हो चुका था। एसआईटी ओहदेदारों ने14 वीं एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के मीटिंग पर मुहम्मद ग़ौस को हुसैनी अलम पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए मुक़द्दमे 289/2012 सेक्शन 143, 147, 188, 333, 353, 153 (A) r/w. 149 IPC, Sec. 7 क्रीमिनल अमेंडमेंट एक्ट में पेश किया।तहक़ीक़ाती एजेंसी ने अदालत में तहक़ीक़ाती रिपोर्ट में ये दावा किया कि /16 नवंबर साल 2012 को मुहम्मद ग़ौस ने मुबय्यना तौर पर बाद नमाज़-ए-जुमा कई मुस्लिम नौजवानों को उकसाया और चारमीनार भाग्य लक्ष्मी मंदिर की सिम्त इश्तिआल अंगेज़ नारेबाज़ी करते हुए हुजूम की शक्ल में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे कि पुलिस ने उन पर आँसू गैस शैल बरसाए।

इसी दौरान हुजूम ने पुलिस पर संगबारी की जिसके नतीजे जवाइंट कमिशनर आफ़ पुलिस कॉर्डिनेशन संजय कुमार जैन के पर्सनल सेक्यूरिटी ऑफीसर जी गंगा रेड्डी ज़ख़मी हो गए थे और उनका एक दाँत टूट गया था। हुसैनी अलम पुलिस ने इस केस को अज़ ख़ुद कार्रवाई के तौर पर मुहम्मद ग़ौस साबिक़ कॉर्पोरेटर, मुहम्मद मुकर्रम अली साबिक़ कॉर्पोरेटर और मुज़फ़्फ़र के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दर्ज करते हुए इस केस को सेंट्रल क्राईम स्टेशन की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम के हवाले कर दिया। इस मुक़द्दमा में 12 पुलिस ओहदेदार गवाह और तहक़ीक़ाती ओहदेदार हैं।

एसआईटी ने तहक़ीक़ाती रिपोर्ट में ये दावा किया है कि तहक़ीक़ात के दौरान अहम शवाहिद को इकट्ठा किया गया है जिसमें जवाइंट कमिशनर के पर्सनल सेक्यूरिटी ऑफीसर के टूटे हुए दाँत को भी एफ़ एम एस डेंटल हॉस्पिटल दिलसुखनगर से बतौर सबूत बरामद किया गया। वाज़िह रहे कि साउथ ज़ोन पुलिस ने मुहम्मद ग़ौस के ख़िलाफ़ फ़िर्कावाराना नौईयत के 6 मुक़द्दमात जिनका क्राईम नंबर 308, 309, 310, 311, 312/2012 और मोग़लपुरा पुलिस स्टेशन के एक और मुक़द्दमा 170/2013 दर्ज किया था।

बताया जाता है कि मुहम्मद ग़ौस ने इन मुक़द्दमात में पहले ही ज़मानत हासिल करली। साबिक़ कॉर्पोरेटर मुहम्मद ग़ौस को 14 दिन के लिए अदालती तहवील में दिए जाने के बाद उन्हें चंचलगुड़ा जेल मुंतक़िल कर दिया गया। एसआईटी का ये मौकुफ़ क्या किसी सियासी दबाओ का नतीजा है क्युंकि जिस केस को पुलिस ने ख़त्म कर दिया उसी केस में फिर कार्रवाई की गई है।

ll केस के मुल्ज़िम नंबर 2 मुहम्मद मुकर्रम अली ने नामपल्ली क्रीमिनल कोर्ट के तीसरे एडिशनल मेट्रोपोलिटन सेशन जज के मीटिंग पर ज़मानत क़बल अज़ गिरफ़्तारी की दरख़ास्त दाख़िल की थी जिस पर जज के राज कुमार ने /28 मार्च को दरख़ास्त ज़मानत ख़ारिज करते हुए अपने अहकाम में ये बताया कि क्राईम नंबर 289/2012 मुक़द्दमा में एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर ने अदालत को ये वाक़िफ़ करवाया कि पुलिस ने इस केस को अदम शवाहिद की दस्तयाबी की बुनियाद पर बंद (फाईनल रिपोर्ट दाख़िल कर दी) कर दिया है और ज़मानत क़बल अज़ गिरफ़्तारी मंज़ूर करने का सवाल ही पैदा नहीं होगा। इस दरख़ास्त को ख़ारिज कर दिया गया था।