एससी-एसटी और ओबीसी को अब बैंकों से मिल सकेगा लोन

रांची 21 मई : आमदनी और जमीं को बेहतर बनाने के महकमा ने दर्ज फेहरिस्त जात, दर्ज फेहरिस्त कबायल और दीगर पसमांदा तबके के लिए बैंकों से कर्ज देने के मामले में कानून महकमा की राय पर मुताल्का डीसी को कार्रवाई करने की हिदायत दिया है। महकमा की तरफ से कानून महकमा से इस सिलसिले में तब्सिरा (रिमार्क्स) मांगा गया था। कानून महकमा ने मुख्तलिफ अदालतों की तरफ से मंज़ूर हुक्म का जायजा लेने के बाद तब्सिरा दिया है कि छोटानागपुर काश्तकारी एक्ट 1908 की दफा 46 (1) के तहत बैंकों से कर्ज लेने पर कानून महकमा ने रजामंदी दी है।

कानून महकमा के मुताबिक दर्ज फेहरिस्त ज़ात, दर्ज फेहरिस्त कबायल, दीगर पसमांदा तबके के लोग अपनी जमीन रेहन रख सकते हैं। इन तबके के लोग अपनी जमीन या होल्डिंग के कुछ हिस्सा को क़र्ज़ लेने के लिए 15 साल तक रेहन के तौर पर रख सकते हैं। यह कर्ज तालीम, फ्लैट की खरीद, मकान बनाने और मकान खरीदने के लिए लिया जा सकता है। एससी, एसटी और ओबीसी तबके के रैयत बिहार और ओड़िशा सहकारी सोसाइटीज एक्ट 1935 (बिहार और ओड़िशा एक्ट 6 आफ 1935) से रजिस्टर्ड बैंक या सोसाइटी, भारतीय स्टेट बैंक से कर्ज ले सकते हैं। वैसे बैंक जो फस्र्ट शिडय़ूल बैंकिंग कंपनीज (एक्विजिशन एंड ट्रांसफर आफ अंडरटेकिंग) एक्ट 1970 (5 आफ 1970) से भी रैयतों को कर्ज दिया जा सकता है।

मालूम हो कि राजधानी के बैंकों से छोटानागपुर काश्तकारी एक्ट के नियमों के तहत कर्ज नहीं मिल रहा था, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कानून महकमा के तब्सिरे के बाद अब कर्ज लेने में सहूलियत होगी। रांची के डीसी ने भी इस मामले पर आमदनी और जमीं को बेहतर बनाने का महकमा से तब्सिरा (रिमार्क्स) मांगा था।