एसिड हमले ने 14 वर्षीय मुस्लिम लड़की की रोक दी जिंदगी की रफ़्तार, भाई ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा खुला पत्र

प्रिय मुख्यमंत्री! मेरा नाम मंज़र अमन है, मैं आपके राज्य बिहार की एक पीड़ित लड़की का भाई हूँ, जिस पर एक तानाशाह युवक ने तेजाब से हमला करके उसका चेहरा और पूरा शरीर खराब कर दिया है।

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क्या मैं आप से बात कर सकता हूँ?। हां! .. मुझे करना चाहिए ….. आप से नहीं करूंगा, तो किस से करूँगा? क्या यहाँ शरीफों का जीना मुहाल है? …. एक आम इंसान का संतोष और शांति के साथ रहना इतना मुश्किल है कि नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक बहन (उम्र 14 वर्ष) पर तेजाब हमला किए तीन महीने हो गए और सरकार का रवैया आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने में विफल रहा है।
प्रिय! काश आप इस दर्द को करीब से महसूस कर पाते, जो मेरी बहन लगभग तीन महीने से झेल रही है. काश कि आप इस एसिड के आग में मेरे पूरे परिवार को जलते हुए देख पाते। काश आप मेरी माँ का तड़पता हुआ दिल और पिता के बिखरे सपने देख पाते। काश कि आप मेरी बहनों के रोती, बिलखती, डरी और सहमी हुई आँखें देख पाते जो स्कूल जाने के नाम से इतना डर से कांपने लगती हैं कि कहीं कोई ज़ालिम उन पर भी तेजाब से हमला न कर दे। आप यह सब क्यों नहीं देखते ???? आपको देखना चाहिए ….. आपको यह सब देखना ही होगा।
प्रिय मुख्यमंत्री! हमारा अपराध क्या है? सिर्फ इतना कि हम अपनी बहन को पढ़ाने लिखाने का वचन दिया था, उसे शिक्षा के आभूषण से लैस करना चाहते थे अगर यह अपराध है तो हर भारतीय को इस अपराध को करना चाहिए ताकि लोगों को पता हो कि इसकी सज़ा बहुत भयानक है बहुत दर्दनाक है और वह यह कि कोई भी ज़ालिम व्यक्ति माँ बहनों पर तेजाब से हमला करके उनके जीवन को बर्बाद कर देगा और कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा …… ? आपके ख़ामोशी से तो यही संदेश जा रहा ना जनाब ……
क्या यह सच नहीं कि पीड़िता के साथ पूरा खान्दान इस भीषण आग में जलता है कभी हॉस्पिटल का चक्कर, कभी कोर्ट कचहरी का चक्कर तो कभी सरकारी सहायता की अपील करता फिरता है लेकिन एक दिन ऐसा आता है कि थक हार कर अपनी मौत मरने और आत्महत्या करने की मांग करता है और अपनी किस्मत को कोसता है. शराब पर प्रतिबंध लगाने में सफल हो गए लेकिन आपके सत्ता में लड़कियों के सम्मान और उनकी सुरक्षा का यह हाल है कि कोई भी पामाल कर देता है और कोई कुछ भी नहीं कहता, कोई सवाल नहीं है, सच कहा था किसी ने कि जो सवाल नहीं करते वे मूर्ख हैं, जो सवाल नहीं करना चाहते वे कायर हैं और जिनके मन में सवाल आता ही नहीं वह आज भी गुलाम हैं …… ? प्रिय तथ्य है क्योंकि ऐसा होता है कि वह घटना हमारे घर और परिवार में नहीं होता तो हम और आप बड़ी आसानी से कह देते हैं हमें क्या करना !!! ! हमारा क्या मतलब !!! इस प्रकार के वाक्यांशों को हम कहने में बिल्कुल भी नहीं झिझकते लेकिन यही सारे वाक्य उन अत्याचारियों को प्रोत्साहित करते हैं तो वह इस अपराध को बार बार करते हैं।
प्रिय मुख्यमंत्री! थोड़ी देर के लिए आपको यह सोचना होगा कि मेरी बहन आप की भी बहन है तो क्या तब भी आप इसे बेसहारा छोड़ देना चाहेंगे??? क्या तब भी आप की अदालत अपराध पे भड़काने वालों को बेल दे देती जबकि मौत के बिस्तर पर पड़ी मेरी बहन की एक आह और सिसकियाँ न्याय की गुहार लगा रही हैं।
प्रिय! मैं इस बात का फैसला समाज और भारतीयों पर छोड़ता हूँ और आप से सवाल करता हूँ कि हमें न्याय की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए? क्या हमें इस सरकारी सहायता की भी उम्मीद छोड़ देनी चाहिए जिसकी घोषणा हमले के बाद किया गया, जबकि तीन महीने होने को हैं और आज तक हम इससे वंचित हैं।
प्रिय! आप उत्तर दीजिए कि क्या हम भीख मांग रहे हैं कि सरकार इस में सुस्ती का प्रदर्शन कर रही है। क्या हमने आपको सत्ता इसलिए सौंपी थी कि जरूरत के समय आपकी मदद न पहुँचे। क्या हम आपको राज्य का मालिक इसलिए बनाया था कि आप तक पहुंच हमारा ही मुश्किल हो जाए।
सुनिए !!! हां!! सुनना पड़ेगा आपको ….? क्योंकि इस दर्द का इज़हार आपके सामने नहीं करेंगे तो कौन हमारी आवाज सुनेगा?
उत्तर दीजिए कि मेरी बहन लगभग तीन महीने से हॉस्पिटल में मौत और जिंदगी की जंग लड़ रही है। उसकी शिक्षा, उसका कीमती समय, उसके जीवन और उसके परिवार के जीवन के विनाश के पीछे किसका हाथ है? उनके हाथों को आप काट क्यों नहीं देते जो दुसरे की माँ बहन की ओर उठते हैं. मोहतरम !!!! आप चुप क्यों हैं …? आप बोलिए कि मेरे परिवार के विनाश के नुकसान की भरपाई कौन करेगा? मेरी बहनों की भयभीत सी आंखों में उम्मीद की किरण कौन जगाएगा? मुझे विश्वास है कि उनकी आहें और फरियाद सुनकर आप चुप नहीं बैठेंगे …. !!
क्या आपको नहीं लगता कि हमारी अच्छी खासी जीवन अचानक रुक गई है, क्या हम इस समय की गति से बहुत पीछे नहीं चले गए. एक पीड़ित के भाई आप से अपने बेटे की हैसियत से सवाल कर रहा है और तब तक करता रहेगा जब तक कि हमें न्याय नहीं मिल जाता … !! ये सब कुछ जानने के बाद आपके सीने में दर्द न उठे तो और खामोश मूकदर्शक बने बैठे हों तो …. आश्चर्य है !!!!!! !!
मंज़र अमन
एक मज़लूम का भाई