एसीडीटी से बचना ज़रूरी

मुंबई, 12 फरवरी: (एजेंसी) आज ना सिर्फ़ हिंदूस्तान बल्कि दुनिया के कई तरक़्क़ी याफ्ता मुमालिक में भी ऐसे अफ़राद की कमी बनी है, जो एसीडीटी से मुतास्सिर हैं। पेन में गैस ख़ारिज करने वाले ग़दूद से ज़ाइद मिक्दार में तेज़ाबी गैस ख़ारिज होने की सूरत-ए-हाल को एसीडीटी से ताबीर किया जाता है। जिस वक़्त पेट में ज़ाइद मिक्दार में गैस बनती है, उस वक़्त क़लब में भी हल्की हल्की जलन महसूस होती है ।

जिस्म से तेज़ाब ख़ारिज होने का मक़सद ही ये है कि वो ग़िज़ा को हज़म करने में मुआविन साबित हो लेकिन मसला उस वक़्त पैदा होता है जब दरकार मिक्दार से ज़ाइद इख़राज होता है और उसी वक़्त जिस्म में मौजूद तेज़ाबी अर्क़ एक मुक़ाम से दूसरे मुक़ाम मुंतक़िल होना शुरू होते हैं।

इसके इलावा भी जिस्म में एसीडीटी पैदा होने की कई वजूहात हैं जिनमें ज़ाइद सिगरेट नोशी , ज़ाइद शराबनोशी , गैस्ट्रो अल्सर , वक़्त पर खाना तनावुल ना करना , हमेशा तली हुई और मसालादार ग़िज़ा खाना , हाज़मा के निज़ाम में मसाइल , काफ़ी वक़्त तक ख़ाली पेट रहना या सिरे से नाशतादान ही ना करना , ज़ाइद मिक्दार में चर्बी वाली ग़िज़ा खाना जैसे , अय्याम हमल , ज़ईफ़ी की तरफ़ गामज़न होना, मोटापा , धूप में फिरना , खाने पीने के ताल्लुक़ से लापरवाही , मनफ़ी सोंच। एसीडीटी की आम अलामात में पेट और क़लब में जलन , हमेशा भूख महसूस होना, पेन के ऊपरी हिस्सा में दर्द, डकारें , मतली और मुँह का मज़ा हमेशा ख़राब रहना। एसीडीटी का शिकार अफ़राद के मुँह से एक नागवार बू निकलती है जिससे मुतास्सिरा अफ़राद की समाजी रुतबा में भी गिरावट आती है ।

लिहाज़ा एसीडीटी से बचें और हरदिलअज़ीज़ बनाएं।