एसेम्बली सेशन : आदिवासी जमीन का मुआवजा गलत

एवान में सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी जमीन पर दिये जानेवाले मुआवजे की कानून को लेकर सवाल उठा। एमएलए चमरा लिंडा ने शिड्यूल एरिया रेगुलेशन एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस एक्ट के मुताबिक 1969 से 30 साल के अंदर ही आदिवासी जमीन पर तामीर होने की सुरते हाल में मुआवजा की तजवीज था। ऐसे में साल 2000 के बाद आदिवासी जमीन पर एसएआर कोर्ट से जितने भी कंपनसेशन हुए हैं, गलत है। ये मुआवजा गैर कानूनी हो जायेंगे।

वज़ीर अमर बाउरी का कहना था हुकूमत इस तजवीज को देख लेती है। दस्तूरुल अमल कार्रवाई की जायेगी। वज़ीर ने कहा कि हुकूमत सीएनटी एक्ट को लेकर सजीदा है। एसएआर कोर्ट में गलत करनेवालों पर कार्रवाई भी हुई है। अनूप शरण, मतियस कुजूर समेत दूसरे अफसरों पर कार्रवाई की गयी है। कानून का जो भी खिलाफवरजी करेगा, उस पर कार्रवाई होगी।

हुकूमत ने इसको लेकर एसआइटी की भी तशकील किया है। एमएलए चमरा लिंडा का कहना था कि वह इस मामले को एसआइटी को भेजें। ओपोजीशन लीडर स्टीफन मरांडी ने कहा कि जमीन के ऐसे मामले देखने के लिए एसेम्बली की कमेटी बनी थी। उस कमेटी के पास बहुत सारे गैर कानूनी मामले आये थे। हुकूमत के खर्च पर कई तामीर काम मुंदहम भी किया गया था। उस कमेटी को फिर से तशकील करने की जरूरत है। एमएलए चमरा लिंडा ने खिजरी और रातू में दो आदिवासी जमीन के मामले में खाली जमीन पर मुआवजा देने के मामले की जानकारी भी एवान को दी। एसएआर कोर्ट की वाद नंबर 379 और 327 का एमएलए ने हवाला दिया।