एस आई टी रिपोर्ट मंज़रे आम पर लाने ज़किया जाफरी की दरख़ास्त मुस्तर्द

2002 के गुजरात फ़सादाद में हलाक कांग्रेसी रुकन पार्लीमेंट एहसान जाफरी की बेवा ज़किया जाफरी की दरख़ास्त को अहमदाबाद की एक मुक़ामी अदालत ने आज मुस्तर्द कर दिया जिसमें उन्होंने इन फ़सादाद पर ख़ुसूसी तहक़ीक़ात टीम की रिपोर्ट को मंज़रे आम पर लाने की अपील की थी ।

मेट्रो पोलीटीन मजिस्ट्रेट एम एम भट्ट ने इस दरख़ास्त को मुस्तर्द करते हुए कहा कि ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम ने अपनी रिपोर्ट से मुताल्लिक़ मवाद हनूज़ दाख़िल नहीं की है । अदालत ने कहा कि तहक़ीक़ात की टीम ने ताहाल अपनी मुकम्मल रिपोर्ट पेश नहीं की है चुनांचे इस मरहला पर कोई हतमी नतीजा अख़ज़ नहीं किया जा सकता । अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के मुताबिक़ एस आई टी की जानिब से फ़सादाद पर मुकम्मल रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद ही मेट्रो पोलीटन कोर्ट किसी नतीजा पर पहुंच सकती है।

सितंबर 2011में सुप्रीम कोर्ट ने एस आई टी को अपनी क़तई रिपोर्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट के रूबरू पेश करने की हिदायत दी थी और कहा था कि अगर मजिस्ट्रेट इस मुक़द्दमा को बंद करने का फ़ैसला करते हैं तो इस से क़ब्ल उन्हें मुकम्मल एस आई टी रिपोर्ट शिकायत कुनिन्दे ( शिकायत करने वाले को) को फ़राहम करना होगा और उनकी बात भी सुननी होगी।

गुज़श्ता माह एस आई टी ने अपनी क़तई रिपोर्ट महर बंद लिफाफे में पेश कर दी है।ज़किया जाफरी ने अपनी शिकायत में नरेंद्र मोदी के बिशमोल सियासतदानों और सरकारी ओहदेदारों को 2002 फ़सादाद मुक़द्दमात में मुल्ज़िम बनाने का मुतालिबा किया है।