ज़हीराबाद १३ दिसम्बर: (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) अलानवार एजूकेशनल ऐंड वेल् फेयर सोसाइटी गड़पली के ज़ेर-ए-एहतिमाम माहाना मजलिस तालीम-ओ-तर्बीयत-ओ-हलक़ा ज़िक्र अलहि की पांचवीं नशिस्त का जामि मस्जिद मौज़ा गड़पली मंडल ज़हीर आबाद में इनइक़ाद अमल में आया। जिस की सदारत जनाब मुहम्मद पाशाह कादरी ने की। इस मौक़ा पर तिलावत कलाम रब्बानी और बारगाह-ए-रिसालत मआब सलाम में हदिया नात की पेशकशी के बाद मुफ़्ती सय्यद नईम उद्दीन कादरी कामिल जामिआ निज़ामीया ने फ़ज़ाइल अहल-ए-बैत इतहार-ओ-शहादत इमाम हुसैन (रजी0) के ज़ेर-ए-उनवान शुरका को मुख़ातब करते हुए कहा कि अहल-ए-बैत की ताज़ीम-ओ-तकरीम-ओ-मुहब्बत, क़ुरआन और् ह्दीस-ओ-इजमा-ए-उम्मत से साबित है।
उन्हों ने वज़ाहत करते हुए कहा कि अल्लाह तबारक ताला का अहल ईमान से मुतालिबा है कि वो अहले बैत ओ आल ए रसूले से मुहब्बत-ओ-उलफ़त करें, इन का अदब-ओ-एहतिराम करने के इलावा उन्हें मुकर्रम जानें और मानें, उन्होंने कहा कि क़ियामत के दिन हर हसब-ओ-नसब मुनक़ते होगा लेकिन हज़रत मुहम्मद अरबी का हसब-ओ-नसब नहीं। मुफ़्ती सैयद नईम उद्दीन कादरी ने शहादत इमाम हुसैन् का तज़किरा करते हुए कहा कि इस हुर्मत वाले महीने में आक़ा अलैह स्लातुस् सलाम के घराने के मासूम अफ़राद को बड़े ही सफ़ाकाना अंदाज़ में शहीद कर दिया गया। यज़ीद ने ख़िलाफ़त की आड़ में अपने आमिराना-ओ-जाबिराना इक़तिदार की बक़ा के लिए जिगर गोशा रसूल ( स्0 अ0 व्0) को शहीद कर दिया जब कि यज़ीद की
हुकूमत छः माह के अंदर ही ख़तम् हो गई और दुश्मनाँ हसीन ओ जहन्नुम रसीद होगई। उन्हों ने कहा कि इमाम आली मक़ाम ने इस हुर्मत वाले महीने में अपनी तरफ़ से जंग नहीं की बल्कि यज़ीदी ताक़तों की जानिब से मुसल्लत की गई जंग का दिफ़ा किया। इस मौक़ा पर इंतिज़ामी कमेटी मस्जिद हज़ा के ओहदेदारान मसरज़ मुहम्मद मुबीन् अहमद, मुहम्मद मॊइज उद्दिन् के बिशमोल देही मुस्लमानों की कसीर तादाद मौजूद थी।