जुमेरात से शुरू होने वाले आन्ध्र प्रदेश असेंबली और क़ानूनसाज़ कौंसिल के इजलास के तनाज़ुर में रियासत की तक़सीम के मुआमले में रुकावटें डालने के लिए सीमांध्र इलाक़े के तमाम अराकान-ए-असेंबली ने पूरी तैयारी कर ली हैं।
इस बार ख़ास बात ये है कि रियासत में तमाम सियासी जमातों के अराकान-ए-असेंबली सीमांध्र और तेलंगाना के हामियों के तौर पर तक़सीम हो जाने से अरकाने असेंबली अपने पार्टी अराकीन की मुलाक़ातों की जगह में ज़्यादा तवज्जे फ़्लोर को – अर्डिनेशन की तरफ़ दे रहे हैं।
सीमांध्र के कांग्रेसी लीडर और वज़ीर शैलजा नाथ, रघुवीरा रेड्डी और गंटा ।।्श्रीनिवास राव ने मुख़्तलिफ़ सियासी जमातों से मुंसलिक सीमांध्र अरकान से राबिता कर रियासत की तक़सीम होने वाले बिल को ऐवान में शिकस्त दे के लिए मंसूबा बंदी कर दी हैं। वाज़िह रहे कि एक – दो दिनों में रियासत की तशकील नोबल सदारती महल से असेंबली को पहुंचाने का इमकान हैं। बताया जा रहा है कि इस बार असेंबली के सेशन में गर्मा गर्म बहस हो सकता है।
कांग्रेसी लीडरों का कहना है कि ये इजलास सिर्फ़ पाँच दिन ही चलने के अलामात दिखाई दे रहे हैं। सही वक़्त पर बिल असेंबली को पहुंच गया तो उसी सेशन में बहस के लिए रख सकते हैं। आईन के उसूलों के मुताबिक़ इस बिल के बारे में सिर्फ़ मुराद लिए जाऐंगे। जबकि वोटिंग नहीं होगी।
सरकारी तौर पर बिल की मुख़ालिफ़त और हिमायत करने वाले अरकान असेंबली का हिसाब नहीं किया जाएगा।