ऑनलाइन याचिका ‘जस्टिस फॉर जसोदा बेन’ को मिला ज़बर्दस्त रेस्पांस

नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम महिलाओं के बचाव में आये प्रधानमंत्री मोदी खुद आलोचनाओं का शिकार हो गये हैं |

प्रधानमंत्री द्वारा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के बारे में चिंता जताने पर विभिन्न संगठनों ने उनकी आलोचना की है | इसके अलावा प्रधानमंत्री के इस दोहरे मापदंड के ख़िलाफ़ जसोदाबेन को न्याय और अधिकार दिलाने के लिए ‘मिशन पासिबल फॉर जस्टिस एंड राइट’ ने ‘जस्टिस फॉर जशोदाबेन’ शीर्षक से एक ऑनलाइन याचिका शुरू की है |

याचिका में कहा गया है कि, “इस्लाम में महिलाओं को अपनी मर्ज़ी से शादी करने का और अगर चाहें तो तलाक देने का पूरा अधिकार दिया गया है | ट्रिपल तलाक़ जिस मुद्दे पर बात कर रहे हैं वो इस देश के मुसलमानों में प्रचलित नहीं है | इस तरह की घटनाओं के कुछ दुर्भाग्यपूर्ण मामले जहाँ देखे गये हैं वहां समुदाय पूरी दृढ़ता से पीड़िता के साथ खड़ा हुआ है | देश के कानून ने भी पीडिता के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है |

ट्रिपल तलाक़ को विवादास्पद मुद्दा बनाया जा रहा है जबकि क़ुरान और हदीस( पैगंबर स० की बातें) में इसका कोई ज़िक्र नहीं है | लेकिन प्रधानमन्त्री जी इस याचिका के माध्यम से हम आपसे पूछना चाहते हैं कि जशोदाबेन क्या कुसूर  था जिसकी वजह से आपने उनसे शादी करने के बाद उन्हें छोड़ दिया | एक शादीशुदा महिला को उसके अधिकार से वंचित कर दिया है |
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को दूसरों को फर्ज़ी भाषण देने से पहले अपना घर देखना चाहिए | इसमें आगे लिखा है कि आपने जशोदाबेन को न सिर्फ़ पत्नी के अधिकार से वंचित किया है बल्कि इस देश के एक नागरिक को भी उसके हक़ से वंचित किया है | जशोदाबेन ने 2015 में  अपने परिवार और दोस्तों के साथ विदेश यात्रा करने के लिए पासपोर्ट  के लिए आवेदन किया था | लेकिन उनके आवेदन को ये कहकर अस्वीकार किया गया था कि इसमें शादी का प्रमाण पत्र या पतिपत्नी का ज्वाइंट एफिडेविट नहीं है | पासपोर्ट कार्यालय के अनुसार पासपोर्ट हासिल करने के लिए शादी का प्रमाण पत्र या पतिपत्नी का ज्वाइंट एफिडेविट एक ज़रूरी दस्तावेज है |

इसमें कहा गया है कि मोदी जी आपने न केवल अपनी पत्नी की बल्कि एक युवा लड़की की ज़िन्दगी भी आपने बर्बाद की | जिसकी  गुजरात राज्य पुलिस, क्राइम ब्रांच ,अपराध शाखा , आतंकवाद निरोधक दस्ते के दर्जनों अधिकारियों द्वारा उसकी जासूसी करवाई गयी थी | ये जासूसी उस वक़्त तत्कालीन राज्य गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अपने साहेब जो कि आप थे , के लिए करवाई गयी थी |

याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के आपके पाखंड को दुनिया जानती है | गुजरात दंगों के दौरान हुए बेस्ट बेकरी मामले का ज़िक्र भी किया गया है | इसमें कहा गया है कि जब भीड़ द्वारा महिलाओं का रेप और जलाया जा रहा था उस वक़्त आप कहाँ थे ?

इसलिए प्रधान मंत्री महोदय, मुस्लिम महिलाओं के संरक्षण के नाम पर मगरमच्छ के आँसू बहाना बंद करिए | पहले अपने उन अपराधों के लिए तो माफी मांगिये जो आपने अपनी पत्नी , मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ किये हैं | उस युवा महिला की जासूसी करने के आदेश देकर बाद उसकी जिंदगी बर्बाद करने के लिए माफ़ी मांगिये |उसके बाद आप अपनी बात शुरू करिए | याचिका पर अब तक लगभग 5000 समर्थकों ने हस्ताक्षर किये हैं |

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