नई दिल्ली: दुनिया का हर धर्म प्रेम, प्यार और शांति का संदेश देता है, जो धर्म नफरत या भेदभाव पैदा करता हो वह या तो मज़हब नहीं है या फिर इसे ठीक से समझा नहीं गया. ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में किंग अब्दुल्लाह बिन अब्दुलअजीज अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आयोजित धार्मिक एवं सांस्कृतिक संवाद के लिए दो दिवसीय अंतर्धार्मिक सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने अपने विचार विचार व्यक्त किए. इस सम्मेलन में उपमहाद्वीप इंडो पाक से एकमात्र मुस्लिम धार्मिक नेता जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने भाग लिया जबकि उनके अलावा दुनिया भर से लगभग सभी धर्मों मुस्लिम, हिंदू, ईसाई, सिख, यहूदी, बौद्ध और पारसी धर्म के उलेमा और पेशवाओं ने भाग लिया.
प्रदेश 18 के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि के रूप में बोलते हुए जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि धर्म भेदभाव लड़ाई या नफरत का नहीं बल्कि प्यार, भाईचारे और शांति का संदेश देता है. जंग व जदल और लड़ाई का धर्म से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह निंदनीय है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज में भेदभाव और दूरियाँ पैदा करके अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश में लगे रहते हैं, और धर्म का लाभ उठाकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेते है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना कहा कि यह स्थिति तब और खराब हो जाती है जब धर्म की आड़ में राजनीति करने या अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सत्ता पर काबिज हो जाते हैं. धर्म के नाम पर राजनीति से चरमपंथियों को बल मिलता है.
मौलाना मदनी ने कहा कि इस बात का स्वागत है कि अमेरिका में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोग काफी लोकतांत्रिक और तटस्थ हैं, इसलिए वह खुद ट्रम्प के सिद्धांत के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं. लेकिन अफसोस और चिंता की बात यह है कि ट्रम्प इस अवधारणा के बाद उस तरह के लोगों को बल मिला है जो कनाडा में मस्जिद पर हमले का कारण बना है. उनहोंने कहा कि दुनिया के मौजूदा हालात में यह सम्मेलन अत्यंत महत्वपूर्ण है और यही समय है कि धार्मिक नेता धर्म की शांति और प्यार और प्यार के संदेश को लेकर आगे बढ़ें ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके. मौलाना मदनी ने इस सम्मेलन के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर यह काम ऐसी संगठन ही कर सकती थी.
सम्मेलन में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के साथ विभिन्न प्रस्ताव पास हुईं, जिनमें एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव जरूरत मंद क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए विशेष रूप से म्यांमार और शाम में पुनर्वास का प्रस्ताव पास हुआ और इसके लिए एक समिति भी बनाई गई जिसमें मौलाना सैयद अरशद मदनी भी हैं.
सम्मेलन के अंतिम दिन भोज कार्यक्रम में राबता इस्लामी के महासचिव डाक्टर मुहम्मद बिन अब्दुल करीम अल उदसी ने भी भाग लिया और इस अवसर पर अपना संदेश भी दिया. उन्होंने कहा कि नफरत और दूरियों को समाप्त करने के लिए भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देना होगा. उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म भेदभाव या नफरत का पाठ नहीं देता है, किसी धर्म के नाम पर तफ़्रीक और दूरी बनाने की कोशिश की जाती है तो वह धर्म नहीं है या फिर उसे समझा नहीं गया. उनहोंने कहा कि प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश देने वाले धर्मों में इस्लाम सबसे आगे है.