ओपन स्कूल इमतेहानात केलिए सदाक़त नामा पैदाइश की शर्त से मुश्किलात

ऑनलाइन इदख़ाल फीस की शर्त पर सैंकड़ों तुलबा के लिये नुक़्सानदेह , हुकूमत को लुबना स्रोत का मकतूब

तेलंगाना स्टेट ओपन स्कूल इमतेहानात के लिए सदाक़तनामा पैदाइश का लज़ूम गरीब तुलबा के लिए दुशवारी का सबब बन रहा है। इसी तरह आधार कार्ड के बगैर ऑनलाइन फॉर्म्स के इदख़ाल में होने वाली दुश्वारियों से सैंकड़ों तुलबा के इम्तेहानात में शिरकत से महरूम रहने का ख़दशा पैदा होचुका है।

साबिक़ में आंध्र प्रदेश ओपन स्कूलस सिस्टम के तहत दीं के इम्तेहानात में शिरकत केलिए एक हलफ़नामा दाख़िल करना होता था जबकि इस मर्तबा अचानक सदाक़तनामा पैदाइश का लज़ूम तुलबा के लिए तकलीफ़ का बाइस बन रहा है चूँकि सदाक़तनामा पैदाइश का हुसूल भी इंतेहाई दुशवार कुन है।

तेलंगाना स्टेट ओपन स्कूल सिस्टम के तहत इम्तेहानात में शिरकत के ख़ाहिशमंद तुलबा को होने वाली इन दुश्वारियों पर डायरेक्टर आंध्र प्रदेश ओपन स्कूल सिस्टम को रवाना करदा मकतूब में मुहतरमा लुबना स्रोत ने ख़ाहिश की है कि नए शराइत जो आइद किए गए हैं उन्हें फ़ौरी तौर पर बरख़ास्त किया जाये और अगर इन का लज़ूम नागुज़ीर हो तो उसी सूरत में आइन्दा तालीमी साल से ये लाज़िम क़रार दिया जाये।

ओपन स्कूल्स सिस्टम के तहत एस एस सी इम्तेहान तहरीर करने वाले बेशतर तुलबा में उसे उम्मीदवार शामिल होते हैं जिन का ताल्लुक़ सतह ग़ुर्बत से नीचे ज़िन्दगी गुज़ारने वाले ख़ानदानों से होता है यह फिर वो मआशी-ओ-तालीमी तौर ताल्लुक़ रखते हैं जिन के पास तमाम दस्तावेज़ात का मौजूद होना मुम्किन नहीं है।

इस तरह के तबक़ात से ताल्लुक़ रखने वाले तुलबा जो तालीम में दिलचस्पी का मुज़ाहरा करते हुए ओपन स्कूल सिस्टम को इख़तियार करते हैं उन्हें समाजी धारे में शामिल होने का मौक़ा फ़राहम किया जाना इंतेहाई ज़रूरी है। हुकूमत की जानिब से आधार कार्ड और सदाक़तनामा पैदाइश मुंसलिक करने जैसे शराइत के बाइस जो नौजवान मआशी पसमांदगी के बावजूद तालीम में दिलचस्पी के सबब ओपन स्कूल सिस्टम के ज़रिये एस एस सी करने के ख़ाहिशमंद होते हैं इन में बददिली पैदा होने का ख़दशा है।

मुहतरमा लुबना स्रोत ने बताया कि ओपन स्कूल सिस्टम के तहत होने वाले इम्तेहानात में शिरकत करने वालों में बड़ी तादाद लड़कियों की होती है। अलावा अज़ीं उसे तुलबा भी ओपन स्कूल सिस्टम से रुजू होते हैं जोकि बचपन में किसी ना किसी वजह से तर्क तालीम पर मजबूर होते हैं। इन तुलबा को मौक़े फ़राहम करने के बजाय सख़्तियां पैदा करते हुए उन्हें तालीम की तरफ़ बढ़ने से रोकना नहीं चाहिए चूँकि नौजवानों की तालीमी तरक़्क़ी के ज़रिये ही बेहतर मुआशरे की तशकील यक़ीनी बनाई जा सकती है।