किशनगंज : बिहार एसेम्बली इंतिख़ाब में छह सीटों पर लड़ रही असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी ने एक हिंदू उम्मीदवार भी मैदान में उतारा है। अररिया ज़िले की रानीगंज से मजलिस इत्तेहादुल मुसलेमीन के उम्मीदवार अमित पासवान दलित तबके से आते हैं। असल तौर से पटना के पुनपुन ब्लॉक के रहने वाले, 35 साल के पासवान संस्कृत में पीएचडी हैं। अमित पासवान कहते हैं कि पढ़ना उनका शौक़ है।
माना जा रहा है कि दलित वोटों को जेहन में रखकर ही अमित पासवान को उम्मीदवार बनाया गया है।
उन्होंने पटना यूनिवेर्सिटी से एलएलबी, एमबीए समेत सियासी साइंस और लाइब्रेरी साइंस में ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की है। फिलहाल वो आइसीएसएसआर, दिल्ली से पोस्ट डॉक्टरेट कर रहे हैं।
ओवैसी की पार्टी में आने से पहले वे रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी से तकरीबन 15 साल तक जुड़े रहे। पार्टी से ख़ुद को अंबेडकर का खयाली बताने वाले अमित ओवैसी से जुड़ने के पीछे दलित, पसमानदा, और अकलियतों के फी उनकी हेसासियत को वजह बताते हैं। अपनी और पार्टी की जीत के लिये यकीन अमित कहते हैं कि उनके ख्याल और कूवत की वजह से वे पार्टी की नज़र में आए। अज़ीम इत्तिहाद ने उनपर इल्ज़ाम लगाया है कि ओवैसी भारतीय जनता पार्टी को फ़ायदा पहुँचा रहे हैं। इसपर पासवान का कहना है कि अगर इसमें सच्चाई होती तो पार्टी महज़ छह सीटों पर इंतिख़ाब नहीं लड़ती। उनका कहना है कि मेरी तरजीह मज़लूम, महरूम, दलितों और अक्लियतों को उनके कानूनी हक़ दिलाना है।
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