पटना : अजीम इत्तिहाद से समाजवादी पार्टी के अलग होने के असर को कम करने की गरज से जदयू इस कोशिश में लग गया है कि एमआईएम (मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन) को बिहार में इंतिख़ाब लड़ने से रोका जाए। जदयू उसके साथ इंतिखाबी तालमेल नहीं करेगा। उसे बिहार इंतिख़ाब में हिस्सा नहीं लेने की दरख्वास्त करेगा। खबर है कि जदयू के एक बड़े लीडर एमआईएम के सदर और एमपी मौलाना असदुद्दीन ओवैसी से राब्ता कर रहे हैं।
मालूम हो कि ओवैसी ने बिहार एसेम्बली इंतिख़ाब में अपने उम्मीदवार उतारने की एलान की है। ओवैसी बिहार के दौरे पर भी गए थे। एमआईएम पहली बार 2014 में आंध्र प्रदेश से बाहर निकला था। महाराष्ट्र एसेम्बली में उसके 24 उम्मीदवार खड़े हुए थे। जीत तो सिर्फ दो सीटों पर हुई। लेकिन, उसने 22 सीटों पर कांग्रेस और एनसीपी का खेल बिगाड़ दिया। उसे सिर्फ 0.9 फीसद वोट मिला था। महाराष्ट्र इंतिख़ाब के बाद ही ओवैसी ने यूपी और बिहार में इंतिख़ाब लड़ने की एलान की थी।
एमआईएम के मैदान में रहने की हालत में जदयू एक और खतरा महसूस कर रहा है। ओवैसी की पहचान भडक़ाऊ तकरीर देने वाले लीडर की है। वह जो कुछ बोलते हैं, हिन्दू तंजीम फौरन रद्दो अमल करते हैं। यह फिरका वराना बुनियाद पर गोलबंदी की वजह बन सकता है। इससे भाजपा फाइदा में रहेगी। अजीम इत्तिहाद के पार्टियों का नुकसान होगा। ज़राये ने बताया कि जदयू इसी बुनियाद पर ओवैसी को बिहार इंतिख़ाब से अलग रखने की कोशिश में है।