ओक़ाफ़ी अराज़ी ख़रीदने मुतवल्ली से वज़ीर की मुआमलत

हैदराबाद 04 सितंबर: ओक़ाफ़ी जायदादों का तहफ़्फ़ुज़ अगरचे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों हुकूमतों के लिए एक दुशवार कुन मरहला है लेकिन अगर हुकूमत में शामिल अफ़राद भी ओक़ाफ़ी जायदादों पर क़बज़ा करें तो फिर दूसरों से किया शिकवा।

हुकूमत में शामिल और बरसर-ए-इक़तिदार पार्टी से ताल्लुक़ रखने वाले अफ़राद की तरफ से अक्सर-ओ-बेशतर ओक़ाफ़ी जायदादों से मुताल्लिक़ उमोर में मुदाख़िलत और क़ब्ज़ों की शिकायात साबिक़ में भी आम रही हैं लेकिन पिछ्ले दिनों आंध्र प्रदेश हुकूमत के एक वज़ीर ने अनंतपूर ज़िला के हिंदुपूर में ओक़ाफ़ी जायदाद पर ना सिर्फ क़बज़ा कर लिया बल्कि मुतवल्ली से अराज़ी की ख़रीदी का मुआहिदा कर लिया।

वक़्फ़ बोर्ड के स्पेशल ऑफीसर और चीफ़ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर की फ़ौरी चौकसी के बाइस ये मुआमलत ना सिर्फ रोक दी गई बल्कि मज़कूरा वज़ीर ने अपनी ग़लती का एतेराफ़ करते हुए ओक़ाफ़ी जायदाद से दसतबरदारी इख़तियार करली।

आंध्र प्रदेश के वज़ीर-ए-क़लीयाती उमोर डॉ पले रघूनाथ रेड्डी के तहत चलने वाले बालाजी एजूकेशनल सोसाइटी के ज़ेरे इंतेज़ाम कई कॉलेजस हैं, इन कॉलेजस के लिए रास्ता हासिल करने के लिए जामा मस्जिद और क़ब्रिस्तान की अराज़ी हासिल की गई।

बताया जाता हैके पहले मरहले में 40 फिट चौड़ी सड़क के लिए अराज़ी हासिल की गई उस के बाद दूसरे मरहले में दुबारा 40 फिट सड़क की तौसी के लिए अराज़ी हासिल करने की कोशिश की गई।

इस तरह मजमूई तौर पर 10 सेंट्स अराज़ी हासिल करने की कोशिश की गई जिसका रकबा तक़रीबन 678 गज़ होता है। बताया जाता है के वज़ीर मौसूफ़ ने मस्जिद कमेटी और क़ब्रिस्तान के मुतवल्ली पर असरअंदाज़ हो कर पहले मरहले में कुछ अराज़ी हासिल करली थी। ये अराज़ी नमकामपल्ली मौज़ा में वाक़्ये है और जिसका नंबर दर्ज औक़ाफ़ है।