औपोज़ीशन की हड़ताल सिर्फ़ मआशी नुक़्सानात का सबब

इस्लाहात(सुधार मामले) पर पीछे हटने का सवाल नहीं, यू पी ए का इस्तिहकाम बरक़रार, सीनीयर वुज़रा का रद्द-ए-अमल एफ डी आई इस्लाहात के ख़िलाफ़ मुल्क एजीटेशन पर तन्क़ीद करते हुए हुकूमत ने आज इस एहतिजाज के पसेपर्दा कारफ़रमा पार्टीयों को मआशी नुक़्सानात का सबब बनने का इल्ज़ाम ठहराया और वाज़िह करदिया कि इस्लाहात के मुआमले(सुधार मामले) में कोई क़दम पीछे की तरफ़ नहीं हटाया जाएगा क्योंकि मुल्क को ज़बरदस्त तरक़्क़ी ज़रुरत‌ है।

सीनीयर वुज़रा(मंत्री) ने यही दोहराया कि हुकूमत के इस्तिहकाम को कोई ख़तरा नहीं चाहे तृणमूल कोंग्रेस कल अलहदा क्यों ना होजाए और नए हलीफ़ों केलिए जुस्तजू करने का इशारा दिया। उन्हों ने ज़ोर दिया कि आठ ग़ीरीव पी ए पार्टीयों के साथ साथ एन डी ए के ज़ेर-ए-एहतिमाम हड़ताल का मआशी नुक़्सानात पहुंचाने के सिवा-ए-कोई असर नहीं हुआ है।

वज़ीर फ़ीनानस पी चिदम़्बरम ने कहा, इस हड़ताल का ख़ालिस असर मज़ीद मआशी नुक़्सान है। जब आप एहतिजाज करें तो एहतिजाज इस अंदाज़ में नहीं होना चाहीए जो मआशी नुक़्सानात का सबब बने। वज़ीर-ए-इत्तलात-ओ-नशरियात अमबीका सोनी ने कहा कि जहां महिदूद एहतिजाज में कोई मज़ाइक़ा नहीं, उसे इस हद तक नहीं होना चाहीए जो अवाम के मुफ़ाद को नुक़्सान पहुंचाए।

वज़ीर-ए-क़ानून सलमान ख़ुरशीद ने ये वाज़िह करते हुए कि हुकूमत रीटेल सैक्टर में एफडी आई से मुताल्लिक़ फ़ैसले को वापिस नहीं लेगी, कहा कि हम ने इंसानी हमदर्दी को मल्हूज़ रखते हुए इस्लाहात लाने की कोशिश की है। बराह-ए-करम ये ना पूछिए कि आया हम इंसानी पहलू को बदलने वाले हैं। इंसान बदस्तूर वही है।

उन्हों ने कहा कि हुकूमत इस्लाहात(सुधार मामले) पर ज़ोर दे रही है ताकि इस मुल्क को बड़ी मआशी तरक़्क़ी पर डाला जाय और अगर औपोज़ीशन इस में सुस्त रवी पैदा करती है तो जो कुछ आज उन्हों ने किया, इस से हम अपने मक़सद को हासिल नहीं करपाऐंगे। हड़ताल के बारे में उन्हों ने कहा कि पार्टीयों ने अपने नक़ात नज़र पेश करदिए हैं, उन्हों ने अपने एहतिजाज का इज़हार करदिया है, अब हमें अपनी फ़ैक्ट्रीयों को वापिस होजाना चाहीए, अपनी दुकानात को वापिस होजाना चाहीए, अपने स्कूलस को वापिस होजाना चाहीए और अपने काम पर वापिस होजाना चाहीए।

इस्तिहकाम(सुधार मामले) के पहलू पर चिदम़्बरम ने कहा, हमारे पास आज (भी) माक़ूल हलीफ़ हैं, हमारे पास कल (भी) माक़ूल हलीफ़ मौजूद थे & लिहाज़ा मुझे कोई वजह नज़र नहीं आती कि क्यों आप को हमारे इस्तिहकाम(सुधार मामले) पर शुबा होना चाहीए। ये पूछने पर कि आया हुकूमत नए हलीफ़ों को तलाश करेगी, चिदम़्बरम ने कहा, अगर हम नए हलीफ़ हासिल करसकते हैं तो क्यों हम नए हलीफ़ हासिल नहीं करेंगे?

अमबीका सोनी ने कहा कि हुकूमत मुस्तहकम है और उसे 545 रुकनी लोक सभा में ज़ाइद अज़ 300 अरकान की ताईद हासिल है। उन्हों ने इस ख़्याल को मुस्तर्द करते हुए कि हुकूमत घट कर अक़ल्लीयत में आगई है, कहा कि हमें पार्लीमैंट के ज़ाइद अज‌ 300 अरकान की हिमायत हासिल है जो ये समझते हैं कि ये मुश्किल मराहिल हैं और जानते हैं कि सख़्त फ़ैसले करने की ज़रूरत है।

चिदम़्बरम ने हड़ताल पर नुक्ता चीनी करते हुए कहा कि इस से मआशी नुक़्सानात हुए और मज़दूरी पर काम करने वालों को नुक़्सान पहुंचा। वज़ीर फ़ीनानस ने कहा कि जमहूरीयत में हम हुकूमत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ मुज़ाहिरे केलिए औपोज़ीशन के हुक़ूक़ का एहतिराम करते हैं। लेकिन आप मईशत से मुताल्लिक़ हुकूमती फ़ैसले के ख़िलाफ़ एहतिजाज और मुज़ाहरा कर रहे हो।

उन्हों ने कहा कि ये अजब है कि जिस तरह का एहतिजाज किया गया वो बड़े मआशी नुक़्सानात का सबब बना क्योंकि रोज़ाना की उजरत पर काम करने वाले अपनी कमाई नहीं करसके और फ़ैक्ट्रीयां अपना काम नहीं कर पाए। चिदम़्बरम ने कहा कि बाअज़ फ़ैक्ट्रीयों मे उजरत तो बहरहाल अदा करनी पड़ेगी लेकिन पैदावार नहीं होगी।

लिहाज़ा ख़ालिस असर अज़ीम तर मआशी नुक़्सानात हैं। मेरे ख़्याल में जब आप मईशत से मुताल्लिक़ किसी फ़ैसले पर एहतिजाज करते हो तो आप को एहतिजाज इस तरह नहीं करना चाहीए कि मआशी नुक़्सान का सबब बने।