औरंगाबाद असलाह ज़बती केस का नया मोड़

मुंबई: औरंगाबाद असलाह ज़बती मामले में दिफ़ा की तरफ‌ से की जाने वाली हतमी बेहस के दौरान आज उस वक़्त नया मोड़ आगया जब जमिया उल्मा महाराष्ट्र (अरशद मदनी के वुकला दिफ़ा ने मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ दहशत गिरदाना मामलात में सबसे अहम सुबूत माने जानेवाले इक़्बालिया बयान को ही फ़र्ज़ी और नाक़ाबिल-ए-यक़ीन बताते हुए कहा कि इस इक़्बालिया बयान की कोई क़ानूनी हैसियत नहीं है और उसे मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और ना ही उसकी बुनियाद पर मुल्ज़िमीन को क़सूरवार ठहरा कर उन्हें सज़ा दी जा सकती है।

ख़ुसूसी मकोका जज श्रीकांत अनीकर के रूबरू हतमी बेहस के दूसरे दिन सुप्रीमकोर्ट में मुजरिमाना मामलात की पैरवी करने वाली ख़ातून वकील नित्या रामकृष्णन ने आज तक़रीबन पाँच घंटे बग़ैर मुदाख़िलत के बेहस की और कहा कि इन्सिदाद-ए-दहशतगर्द दस्ते ने मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ जो माम‌ला तैयार किया है|