औलाद को ईमानदार और फ़र्ज़शनास बनाने में माँ का अहम रोल

ए पी हाईकोर्ट जस्टिस चंद्रा कुमार ने यहां हरीता आडीटोरीयम मैं मुनाक़िदा इजलास से ख़िताब करते हुए समाज सुधारको यक़ीनी बनाने केलिए ख़वातीन-ओ-तलबा-ए-को आगे आने की ख़ाहिश की । जस्टिस चंद्रा कुमार ने कहा कि कोई भी माँ अपनी औलाद से किसी भी किस्म की लालच या कुछ नहीं चाहती हर दिन प्यार-ओ-मुहब्बत से अपनी वालिदा से मिलना अच्छी बात करने से वो दुनिया का सब से ज़्यादा सुकून महसूस करता है ।

उन्होंने तलबा से अपने वालदैन से हुस्न सुलूक का मश्वरा दिया । अगर वालदैन बैरून-ए-मुल्क में हैं ऐसे में हर दिन थोड़ी बातचीत करते रहने से वालदैन की ख़ुशी की कोई इंतिहा नहीं रहती । आज के दौर में जो मसरूफ़ तरीन दूर है इंसान मशीन बन कर रह गया है । ऐसे वक़्त में हर दिन थोड़ा वक़्त अपने वालदैन के लिए निकाले ।

उनकी दुआएं लें तो इंसान सुर्खुरु हो सकता है । आज के दौर में बूढ़े वालदैन की देख भाल ना करने के वाक्यात पर अपनी तशवीश का ज़िहार करते हुए उन्होंने कहा कि मुल्क भर में बैतुल मामेरीन में इज़ाफ़ा होता जा रहा है । बूढ़े वालदैन मजबूरन बैतुल मामेरीन का ख कर रहे हैं । ये इजलास कवीता एजूकेशन कल्चर्ल सेवा समीती की जानिब से मुनाक़िद किया गया ।

जस्टिस चंद्रा कुमार ने नये भारत की तामीर-ओ-तरक़्क़ी के लिए भारत की माओं की दुवाओं और हिम्मत दिलाने को ही नमूना क़रार दिया । आज मुल्क में हर जगह तारीकी का दौर दौरा है । ऐसे में उम्मीद की किरण ख़वातीन में महिला शक्ति से तारीकी में शम्मा रोशन की जा सकती है ।

अपनी औलाद को ईमानदार और फ़र्ज़शनास बनाने की ताक़त मुसर्रिफ़ माँ में होती है । उन्होंने वालदैन से अपने बच्चों को एक अच्छी शहरी बनानी, एक अच्छा इंसान बनाने क़ौम और् मुल्क का नाम रोशन करने वाला बनाने की ख़ाहिश की ।