सब से पहले ये बात अच्छी तरह ज़हनमें रखिए कि अल्लाह ताला जिस को चाहता है लड़के और लड़कीयां दोनों देता है, या सिर्फ लड़कीयां ही देता है या फिर सिर्फ लड़के ही देता है और बाज़ को बांझ यानी बेऔलाद ही रखता है। हर हाल में शुक्र ख़ुदावंदी अदा करना ज़रूरी है।
बाज़ लोग सिर्फ और सिर्फ लड़कीयों या लड़की की पैदाइश पर बीवी पर जो ज़ुलम ढाते हैं,बहुत बडा गुनाह है। अल्लाह ताला को हाज़िर ओर-नाज़िर जान कर एसा हरगिज़ मत कीजिए। निचे लिखीत आमाल पर अमल कीजिए, इंशा अल्लाह ताला नरीना औलाद की ख़ाहिश पुरी होगी।
(१) मियां बीवी हर नमाज़ के बाद ये दुआ हमल ठहरने के दिन से करते रहें। ’رب ھب لی من الصالحین o رب لاتذرنی فردا وانت خیر الوارثین
(२) दोनों एक माह इशा कि नमाज के बाद सूरा फ़ातिहा १२१ बार इस तरह पढ़ें कि ’’انعمت علیھم‘‘ पर पहुंच कर मिसल ज़करीया अलैहि स्सलाम कह कर सूरा ख़त्म करें और दुआ करें
(३) हमल ठहरने से चालीस रोज़ तक या अव्वल चालीस बार पढ़ कर पानी पर दम करके दोनों आधा आधा पी कर हमबिस्तर होते रहें और सूरा फ़जर भी एक एक बार दोनों हमबिस्तरी से पहले पढ़ लिया करें
(४) सूरा वत्तीन लिख कर हल करके पानी हमल ठरनेके दिन से ज़चगी तक बीवी पीती रहे
(५) मियां बीवी सोते वक़्त रोज़ाना ’’رب ھب لی ذریۃ طیبۃ‘‘۔ पढ़ते हुए सोया करें
(६) हमबिस्तरी से पहले सूरा नजम एक बार दोनों पढ़ते रहें तो ख़ूबसूरत औलाद नरीना होगी