औक़ाफ़ी आराज़ियात के डिजीटल रेकॉर्ड्स की तर्तीब

नई दिल्ली 28 दिसम्बर: मर्कज़ी वज़ीर-ए-अक़लीयती उमूर‌ के. रहमान ख़ान ने मुल्क की तमाम मौक़ूफ़ा आराज़ीयात और जायदादों के रेकॉर्ड्स को डिजीटल बनाने के लिए मर्कज़ी कम्पयूटर ख़िदमात का इफ़्तेताह करते हुए आज कहा कि इस का मक़सद रियास्तों के वक़्फ़ बोर्डस की कारकर्दगी को बेहतर बनाना और तमाम मौक़ूफ़ा आराज़ीयात और जायदादों से ग़ैर मजाज़ क़ब्ज़ों को बर्ख़ास्त करते हुए उनकी हिफ़ाज़त को यक़ीनी बनाना है।

इस निज़ाम के तहत तमाम मौक़ूफ़ा आराज़ीयात और जायदादों के रेकॉर्ड्स का मोस्सर अंदाज़ में तहफ़्फ़ुज़ करने के अलावा जायदादों की तफ़सीलात के तहफ़्फ़ुज़ और तनाज़आत से निमटने वक़्फ़ बोर्डस की ज़रूरी रहनुमाई की जा सकती है।रहमान ख़ान ने बादअज़ां अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि पारलीमानी कमेटी की सिफ़ारिशात के मुताबिक़ उस निज़ाम को तर्तीब दिया गया है जो बहुत जल्द तमाम तफ़सीलात जमा करेगा और मौक़ूफ़ा जायदादों की तमाम तफ़सीलात ऑनलाइन पर दस्तयाब होंगी।

उन्होंने कहा कि मुल्क भर में मुख़्तलिफ़ वक़्फ़ बोर्डस के तहत 4 लाख हेक्टर आराज़ीयात है जिनमें एसी ही कई दीगर जायदादें भी शामिल हैं और इस ज़िमन में मोस्सर इंतेज़ाम के लिए एक मर्कज़ी निज़ाम ज़रूरी है।रहमान ख़ान ने एतराफ़ किया कि इन तफ़सीलात को डीजीटल निज़ाम से मरबूत करने का अमल फ़िलहाल क़दरे सुस्त रफ़्तार है।

ताहम उन्होंने कहा कि बुनियादी तफ़सीलात रियास्ती वक़्फ़ बोर्डस की तरफ‌ से फ़राहम की जाती हैं जिस के लिए कुछ वक़्त दरकार होगा। अलावा अर्ज़ीं दीगर चंद मसाइल भी हैं और चंद जायदादें तनाज़आत की शिकार हैं। उन्होंने मज़ीद कहा कि इस रिकार्ड को डीजीटल बनाने का अमल एक बार मुकम्मल होजाने के बाद तमाम तफ़सीलात ऑनलाइन पर दस्तयाब होंगी और आम अफ़राद भी क़ानून हक़ मालूमात के तहत अपने सवालात के जवाब हासिल करसकते हैं।

मर्कज़ी वज़ीर-ए-अक़लीयती उमूर‌ ने कहा कि वक़्फ़ क़ानून में तरमीमात की जा रही हैं जिससे मर्कज़ी वक़्फ़ कौंसल को मज़ीद इख़्तयारात हासिल होंगे। उन्होंने कहा कि वक़्फ़ एक रवां मौज़ू है और बुनियादी तौर पर रियास्ती हुकूमत ही मौक़ूफ़ा जायदादों और आराज़ीयात की देख भाल की ज़िम्मेदार होती हैं।

लेकिन वक़्फ़ क़ानून में तरमीमात में मर्कज़ी वक़्फ़ कौंसल को वो मुख़्तलिफ़ रियास्तों के वक़्फ़ बोर्डस की निगरानी और रहनुमाई करने के इख़्तयारात हासिल होजाएंगे। उन्होंने रियास्ती वक़्फ़ बोर्डस को ग्रांट फ़राहम करने के लिए एक मर्कज़ी स्कीम तैय्यार की जा रही है।

इस स्कीम की मंज़ूरी के बाद मुख़्तलिफ़ रियास्तों के वक़्फ़ बोर्डस को मर्कज़ी फंड्स फ़राहम किए जाऐंगे जो रियास्ती हुकूमतों की जानिब से दिए जाने वाले फंड्स के मसावी होंगे।