आनेवाले दिनों में टाटा स्टील में मुलाज़िमीन की छंटनी की जा सकती है। इतने मुलाज़िमीन के साथ कंपनी नहीं चल सकती है। ये बातें टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कही। वे बुध को टाटा वर्कर्स यूनियन के कमेटी मेंबरों के ट्रेनिंग प्रोग्राम एनआइपीएम के इफ़्तिताह तकरीब में बोल रहे थे। इस दौरान टाटा वर्कर्स यूनियन के सदर आर रवि प्रसाद समेत तमाम ओहदेदार मौजूद थे।
टाटा स्टील के एमडी ने इस मौके पर कहा कि कलिंगानगर (ओड़िशा) प्रोजेक्ट में 3 मिलियन टन पैदावार फिलहाल शुरू होने जा रहा है। यहां छह मिलियन टन पैदावार का टार्गेट है। वहां तीन से चार हजार लोगों को कंपनी में सीधे तौर पर नौकरी मिल रही है। जमशेदपुर में कंपनी ने 22 हजार करोड़ रुपये का सरमायाकारी किया है। इसका फायदा यहां की आवाम को मिला है। वहीं लोगों को रोजगार भी मिला है। एमडी ने कहा कि जमशेदपुर प्लांट में 15 हजार से ज्यादा मुलाज़िमीन हैं।
यहां मैनपावर ज्यादा है। पोस्को जैसी कंपनी के बेंचमार्क के मुताबिक 2200 टन फी सख्श / साल स्टील पैदावार करता है। वहीं टाटा स्टील में 600 टन/सख्श/साल के हिसाब से प्रॉडक्शन कर रहे हैं। पोस्को जैसी कंपनी पांच से छह हजार मजदूरों से 10 मिलियन टन स्टील प्रॉडक्शन कर रही है।
टाटा स्टील में 15 हजार मुलाज़िमीन 10 मिलियन टन प्रॉडक्शन करते हैं। सभी को अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में रॉ मेटेरियल आसानी से मिलने की वजह से यहां टाटा स्टील की क़याम की गयी थी। अब वह मिलना मुश्किल हो गया है। झरिया से कोयला लाने से सस्ता ऑस्ट्रेलिया से लाने में पड़ रहा है। ऐसे में कंपनी पर लागत खर्च काफी ज्यादा पड़ रहा है। लिहाजा, इसे कंट्रोल करने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है।