इंटर्न खातून वकील के Sexual harassment मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार गांगुली का नाम सामने आया है। मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की तीन जो की कमेटी ने जस्टिस गांगुली के भी बयान दर्ज किए हैं।
कमेटी ने ज़ुमेरात को इल्ज़ामात की जांच रिपोर्ट चीफ जस्टिस पी. सतशिवम को सौंप दी। हालांकि, जस्टिस गांगुली ने इल्ज़ामात को नकार दिया है, लेकिन एडीशनल सॉलिसिटर जनरल इंद्रा जयसिंह और सुप्रीम कोर्ट की वकील कामिनी जायसवाल ने उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की मांग की है। इस समय जस्टिस गांगुली मगरिबी बंगाल इंसानी हुकूक कमीशन के सदर हैं। वह फरवरी, 2012 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड हुए थे।
जस्टिस गांगुली का नाम जुमे के रोज़ सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी सरकारी इत्तेला के बाद सामने आया है। आली अदालत की ओर से जारी इत्तेला में बताया गया है कि इंटर्न खातून वकील की तरफ से लगाए गए Sexual harassment के इल्ज़ामात की जांच कर रही तीन रूक्नी कमेटी ने जांच रिपोर्ट चीफ जस्टिस को सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया कि मुतास्सिरा ने भी कमेटी के सामने बयान दर्ज कराए हैं। साथ ही मुतास्सिरा की ओर से कमेटी को तीन हलफनामे भी दिए गए हैं। जांच कमेटी ने 13, 18, 19, 20, 21, 26 और 27 नवंबर को कुल सात बैठकें की। इसके बाद 28 नवंबर को जांच रिपोर्ट चीफ जस्टिस को सौंप दी।
गौरतलब है कि एक खातून इंटर्न वकील ने ब्लॉग में सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज पर Sexual harassment के इल्ज़ाम लगाए थे। बाद में एक वेबसाइट में और वेबसाइट के हवाले से एक अखबार में खबर छपी, जिसमें इंटर्न ने इल्ज़ाम लगाया है कि दिसंबर, 2012 में दिल्ली में गैंगरेप की एहतिजाज में मुज़ाहिरा चल रहा था।
उस वक्त हाल ही में रिटायर्ड हुए सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने होटल के कमरे में उसका Sexual harassment किया था।
इंटर्नने जज के नाम का खुलासा नहीं किया था। चीफ जस्टिस ने खबरों में आए Sexual harassment के इल्ज़ामात पर खुद नोटिस लेते हुए 12 नवंबर, 2013 को इल्ज़ामत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की एक जांच कमेटी तश्कील कर दी।
जस्टिस आरएम लोढा, एचएल दत्तू और रंजना प्रकाश देसाई की तीन रुकनी कमेटी ने तश्कील के दूसरे ही दिन काम शुरू कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में जज रहते जस्टिस एके गांगुली कई मशहूर फैसलों से जुड़े रहे हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में 122 लाइसेंस रद्द करने वाला अहम फैसला देने वाली बेंच के एक रूकन गांगुली भी थे। इसके इलावा हिंदू मैरिज एक्ट के तहत नाजायज़ औलाद को वालिदैन की प्रापर्टी में हिस्सेदार बनाने वाले फैसले में भी गांगुली भागीदार रहे। साथ ही इमरजेंसी के दौरान मौलिक हुकूक की मुअत्तली की बात कहने वाली आईन ( संविधान) बेंच की अक्सरियत के फैसले को गांगुली ने गलत ठहराया था।
‘मैं कमेटी को बता चुका हूं कि इंटर्न के इल्ज़ाम गलत हैं। मुझे नहीं मालूम कि ये इल्ज़ाम कैसे लगाए गए। मुझे गहरा धक्का लगा है। मैं इलामात को सिरे से खारिज करता हूं।’
-जस्टिस एके गांगुली