कठुआ: पिता ने कहा- केवल मैंने नहीं, हिंदुस्तान ने अपनी बेटी खो दी

जम्मू और कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी और फिर निर्ममता से हत्या करने के बाद परिवार रसाना गांव छोड़कर चला गया है। परिवार अपने जानवरों और घोड़ों को लेकर राउंदोमेल चला गया है। यह जगह ऊधमपुर से थोड़ी ऊपर स्थित है। पिछले 9 दिनों में आसिफा का परिवार अपनी 50 भेड़ों, 50 बकरियों और 15 घोड़ों के साथ 110 किलोमीटर की दूरी तय करके यहां पहुंचा है। उन्हें किश्तवार जाना है जहां तक पहुंचने में उन्हें डेढ़ महीने का समय लगेगा। आसिफा के परिवार के साथ 17 दूसरे परिवारों ने भी चुपचाप पिछले गुरुवार को रसाना गांव छोड़ दिया था।

आसिफा के पिता ने कहा- वहां दबाव असहनीय था। हमें लगातार धमकियां मिल रही थीं। हमें कहा जा रहा था कि पशु और घरों को जला देंगे। हम कैसे लड़ सकते हैं? अगर हमारे पशुओं को मार दिया जाएगा तो हमारे पास क्या बचेगा? हम बकरवाल हैं। यहीं हमारी रोजी-रोटी है। अगर वो मर जाएंगे तो हम भी मर जाएंगे। हम पहले ही अपना एक बच्चा खो चुके हैं। आसिफा का परिवार अब कभी कठुआ वापस नहीं जाएगा। दूसरे परिवार भी लौटने को लेकर अनिश्चित हैं।

बच्ची के पिता ने आगे कहा- हम आखिर किसलिए वहां वापस जाएं? मेरे पास अब केवल एक उम्मीद है अगर हमारे देश में इंसानियत बची है तो इस मामले को उन्हीं नजरों से देखा जाना चाहिए। केवल मैंने अपनी बेटी नहीं खोई है बल्कि हिंदुस्तान की बेटी भी थी वो। तिरंगा रैली और इस मामले पर हो रही राजनीति को लेकर अपनी बात ठीक से न कह पाने वाले पिता ने कहा कि नेता इस मामले को अपने हिसाब से देख रहे हैं।

करीब 20 बकरवाल लोगों का यह खानाबदोश डेरा गर्मी के मौसम में जम्मू में रुकता नहीं है। मूल रूप से अनंतनाग में रहने वाले यह लोग इस वक्त ऊंची जगहों पर चले जाते हैं। सर्दियों में उनके पशुओं के लिए चारा कम हो जाता है और इसलिए यह फिर से नीचे वापस आ जाते हैं। पशु ही इनकी कमाई का इकलौता जरिया हैं और साल में एक बार ईद-उल-जुहा पर पशुओं की बिक्री से इनकी कमाई होती है।