कतर ने कम से कम 78 विदेशी मजदूरों को फरवरी 2016 से तनख्वाह नहीं दी है- एमनेस्टी इंटरनेशनल

भारत, नेपाल और फिलीपींस के कई मजदूर कतर में बुरी तरह कर्जे में डूबे हैं. एमनेस्टी इंटरनेशल के मुताबिक 78 मजदूरों को बीते ढाई साल से तनख्वाह की एक कौड़ी तक नहीं मिली है.

2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का फाइनल कतर के लुसैल शहर में होगा. शहर को चमकाने के लिए कतर 45 अरब डॉलर खर्च कर रहा है. लेकिन इस खर्चे में से कई मजदूरों को कुछ भी नहीं मिला है.

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक कतर ने कम से कम 78 विदेशी मजदूरों को फरवरी 2016 से तनख्वाह नहीं दी है. पैसे के अभाव में इन मजदूरों ने पैसा उधार लिया और अब हर एक पर औसतन दो हजार डॉलर का कर्ज चढ़ा हुआ है. यह उनकी कई महीनों की तनख्वाह के बराबर है.

20 महीने से तनख्वाह के लिए तरसने वालों में नेपाल, भारत और फिलीपींस के मजदूर हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक मर्करी मीना नाम की एक ठेका कंपनी ने “मजदूरों को हजारों डॉलर की मजदूरी और काम से जुड़े फायदे नहीं दिए, उन्हें असहाय और कौड़ी का मोहताज बना दिया.”

कतर पर मजदूरों के शोषण के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन इस पैमाने पर तनख्वाह को रोके रखने का आरोप पहली बार सामने आया है. एमनेस्टी के आरोप के बाद फीफा से भी सवाल पूछे जा रहे हैं. फीफा ने एमनेस्टी पर “गुमराह” करने का आरोप लगाया है.

फीफा के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि तनख्वाह न पाने वाले मजदूर 2022 के वर्ल्ड कप से नहीं जुड़े हैं, “हमें खेद है कि एमनेस्टी ने अपना बयान जारी करने के लिए इस तरह के गुमराह करने वाले तरीके का इस्तेमाल किया.”