सोमवार को मध्य प्रदेश पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठ विचाराधीन क़ैदियों के जेल से फ़रार होने और फिर बाद में मुठभेड़ में उनकी मौत का दावा किया है | इस मुठभेड़ के बाद से मध्य प्रदेश पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं |
इस घटना पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और राज्य पुलिस को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है | लगभग सभी विपक्षी दलों ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाये हैं |
सोमवार देर शाम जस्टिस काटजू ने अपने फेसबुक और ट्विटर प्रोफाइल पर लिखा, “जहाँ तक मुझे जानकारी प्राप्त हुयी है कथित एनकाउंटर फेक है | जो भी इसके लिए ज़िम्मेदार है, ना केवल वो जिन्होंने इसे अंजाम दिया है, बल्कि आदेश देने वाले वरिष्ठ अधिकारीयों और नेताओं को भी मौत की सजा दी जानी चाहिए |” उन्होंने अपनी पोस्ट में प्रकाश कदम बनाम रामप्रसाद विश्वनाथ गुप्ता केस का हवाला भी दिया |
From what I could gather, the so called #SIMI 'encounter' in Bhopal was fake, and all those responsible for it, must be given death sentence pic.twitter.com/13GdscKPMK
— Markandey Katju (@mkatju) October 31, 2016
एक दूसरे ट्वीट में श्री काटजू ने लिखा, “जो पुलिस वाले सोचते हैं कि वे न्यायिक हत्या कर सकते हैं और बच जायेंगे उन्हें याद रहना चाहिए की फांसी का फंदा उनका इंतज़ार कर रहा है”
So trigger happy policemen who think they can do extra judicial killings and get away with it should know that the gallows await them.
— Markandey Katju (@mkatju) October 31, 2016
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए लिखा, “क्या कारण है कि जेल से सीमी से संबंधित क़ैदी ही क्यों भागते हैं ? आठों को मप्र पुलिस ने मार गिराया। क्या क़ैदियों के पास हथियार थे ?”
क्या कारण है कि जेल से सीमी से संबंधित क़ैदी ही क्यों भागते हैं ? आठों को मप्र पुलिस ने मार गिराया। क्या क़ैदियों के पास हथियार थे ?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 31, 2016
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “अगर ज़िंदा पकड़ते तो पूरी घटना की जानकारी मिल सकती थी। किन्तु सारा घटनाक्रम भी उजागर हो जाता। शायद इसीलिये मार दिया गये।”
अगर ज़िंदा पकड़ते तो पूरी घटना की जानकारी मिल सकती थी। किन्तु सारा घटनाक्रम भी उजागर हो जाता। शायद इसीलिये मार दिया गये।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 31, 2016
यदि NIA से ही जॉच करवाना है तो जॉंच अदालत की मॉनिट्रिंग में होना चाहिये और जेल की कार्य प्रणाली की न्यायिक जॉंच होना चाहिये।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 31, 2016
इससे पहले केजरीवाल ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल करते हुए ट्वीट किया था
This is Modi Raj. Fake encountrs, fake cases, Rohith Vemula, KGBansal, missing Najeeb, dalit atrocties, goondaism of ABVP, RSS, gau rakshks
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 31, 2016
नेताओं के अलावा कई अन्य लोगों ने भी इस एनकाउंटर पर कई सवाल उठाये
Exposing a fake encounter is not anti-national. Staying silent when you know that an encounter appears fake is what is truly anti-national.
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) October 31, 2016
Does asking questions on Bhopal encounter make one anti national? I thought raising questions essence of our great democracy, no?
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 31, 2016
#BhopalFakeEncounter had a good script. But the actors were bad. #SIMI
— Shirish Kunder (@ShirishKunder) October 31, 2016
Police: #SIMI men used wood, toothbrush to make keys of Central jail. Such incredible talent is unheard, even in IITs. #BhopalFakeEncounter
— Pravin Mishra (@mishra_pravin) October 31, 2016
When Modi said he will implement the Gujrat model in India, this is exactly what was in offering. #BhopalFakeEncounter
— Harmeet Singh Sangha (@HarmeetSSangha) October 31, 2016
UP election approaching , life to SIMI is necessary to polarise votes. Thats why #BhopalFakeEncounter !
— सचिन राज (@sachinraj2706) October 31, 2016