कथित फर्जी एनकाउंटर के ज़िम्मेदारों को दी जाए मौत की सजा: जस्टिस काटजू

 

सोमवार को मध्य प्रदेश पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठ विचाराधीन क़ैदियों के जेल से फ़रार होने और फिर बाद में मुठभेड़ में उनकी मौत का दावा किया है | इस मुठभेड़ के बाद से मध्य प्रदेश पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं |

इस घटना पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और राज्य पुलिस को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है | लगभग सभी विपक्षी दलों ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाये हैं |

सोमवार देर शाम जस्टिस काटजू ने अपने फेसबुक और ट्विटर प्रोफाइल पर लिखा, “जहाँ तक मुझे जानकारी प्राप्त हुयी है कथित एनकाउंटर फेक है | जो भी इसके लिए ज़िम्मेदार है, ना केवल वो जिन्होंने इसे अंजाम दिया है, बल्कि आदेश देने वाले वरिष्ठ अधिकारीयों और नेताओं को भी मौत की सजा दी जानी चाहिए |” उन्होंने अपनी पोस्ट में प्रकाश कदम बनाम रामप्रसाद विश्वनाथ गुप्ता केस का हवाला भी दिया |

एक दूसरे ट्वीट में श्री काटजू ने लिखा, “जो पुलिस वाले सोचते हैं कि वे न्यायिक हत्या कर सकते हैं और बच जायेंगे उन्हें याद रहना चाहिए की फांसी का फंदा उनका इंतज़ार कर रहा है”

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए लिखा, “क्या कारण है कि जेल से सीमी से संबंधित क़ैदी ही क्यों भागते हैं ? आठों को मप्र पुलिस ने मार गिराया। क्या क़ैदियों के पास हथियार थे ?”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “अगर ज़िंदा पकड़ते तो पूरी घटना की जानकारी मिल सकती थी। किन्तु सारा घटनाक्रम भी उजागर हो जाता। शायद इसीलिये मार दिया गये।”

इससे पहले केजरीवाल ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल करते हुए ट्वीट किया था

नेताओं के अलावा कई अन्य लोगों ने भी इस एनकाउंटर पर कई सवाल उठाये