नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के खिलाफ हलफनामे में गलतबयानी के आरोप में मुकदमा चलाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध जताया है | दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुये आज कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए सुबूत नहीं है कि देशद्रोह मामले में छात्र नेता की जमानत याचिका के साथ उन्होंने झूठे हलफनामे दाखिल किया थे|
जस्टिस एस पी गर्ग को जांच अधिकारी ने सूचित किया कि 11 अगस्त को अदालत देशद्रोह मामले में कन्हैया की जमानत याचिका रद्द करने की याचिका ठुकरा चुकी है | अपनी रिहाई के बाद छात्र नेता ने किसी तरह का देशद्रोही बयान दिया है ऐसा कुछ नहीं मिला है इस आधार पर याचिका ठुकराई गयी है |
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस के हलफनामे में कहा गया है, जवाब में याचिका का अवलोकन करते हुए, सबूत और विषयवस्तु-कथन के अभाव से पूरी तरह इंकार किया गया और इस अदालत के 11 अगस्त 2016 के आदेश के आलोक में याचिका खारिज करने योग्य है|
अदालत द्वारा जारी नोटिस के बाद पुलिस का यह जवाब आया है जिसमें दावा किया गया है कि जेएनयू प्रोफेसर ने मामले में कन्हैया की जमानत याचिका के साथ जानबूझकर फर्जी हलफनामा दाखिल किया| अगले साल 23 फरवरी को अदालत मामले की अगली सुनवाई करेगी|
याचिकाकर्ता प्रशांत कुमार उमराव ने याचिका में दलील दी है कि प्रोफेसर ने गलत तरीके से शपथ पत्र दिया कि कन्हैया वह अच्छे बिहेवियर वाला शख्स है और वह किसी भी देशद्रोही एक्टिविटी में शामिल नहीं था |