कमजोर होता देख बीजेपी का शिवसेना के आगे बढ़ रहा है झुकाव, गठबंधन बचाने की कवायद शुरू

मुंबई। लगता है महाराष्ट्र में भाजपा -शिव सेना का गठबंधन उस पति -पत्नी के रिश्ते जैसा लगता है जो बात -बात में रूठते हैं, झगड़ते हैं , बुराई करते हैं और फिर एक हो जाते हैं।यह तो एक दूजे के बिना रहा भी न जाए और चुप रहा भी न जाए वाली मिसाल बन गई।

शिव सेना द्वारा अगला विधान सभा चुनाव अलग लड़ने की घोषणा के बाद अब खबर है कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन बचाने की एक और पहल की जा रही है। यदि दोनों की गलतफहमियां दूर हो गईं तो दोनों फिर साथ भी हो सकते हैं।

मिली जानकारी के अनुसार पिछले हफ्ते शिवसेना और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच गठबंधन बनाए रखने पर बातचीत फिर से शुरू हुई है। इस बातचीत में इस बार आक्रामक रवैया अपनाने वालों को दूर रख कर नए वार्ताकारों को शामिल किया गया है।

नए वार्ताकार जहां दोनों पार्टियों के बीच उभरे मतभेदों और सीटों के मुद्दे को सुलझाएंगे ,वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे कामकाजी मुद्दों पर निर्णय लेंगे।

बता दें कि इस बार शिव सेना ने अपने एमपी अनिल देसाई और पार्टी के नवनियुक्त सचिव मिलिंद नारवेकर को पार्टी की ओर से वार्ताकार बनया है, जबकि वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार , शिक्षा मंत्री विनोद तावडे और पीडब्ल्यूडी मंत्री चंद्रकांत पाटिल को शामिल किया गया है।

शिव सेना ने संजय राउत और राज्य के परिवहन मंत्री दिवाकर राउते को और भाजपा ने एकनाथ खडसे और आशीष शेलार को इस वार्ता से दूर रखा है। शिव सेना ने कहा कि शर्तों पर आधारित गठबंधन टूटना नहीं बल्कि काम करते रहना चाहिए। इस बयान से सुलह होने के संकेत मिले हैं।