कमसिन बच्चों के अमवात (मृत्यु) पर शहरी ख़ौफ़ का शिकार

रियासत भर में बच्चों की अमवात (मृत्यु ) से अवाम में जहां एक तरफ़ ख़ौफ़-ओ-दहश्त पाई जाती है तो वहीं अवाम की एक बड़ी तादाद का सरकारी दवा ख़ानों पर इन्हिसार (निर्भर) है और उन हॉस्पिटल्स का हाल तशवीश (संदेह)नाक (संदेहात्मक) हद तक पहूंच चुका है। रियासत भर में जारी कमसिन बच्चों की अमवात (मृत्यु ) से शहरी ख़ौफ़ का शिकार हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ हुकूमत सर्दमहरी से काम ले रही है।

हुकूमत में कुर्सी को बचाने की फ़िक्र और वज़ारती ओहदों की रद्दोबदल की सरगर्मीयां ज़ोरों पर चल रही हैं, लेकिन अवामी ज़िंदगी से जुड़े इस हस्सास (महत्वपूर्ण ) मसला (समस्या) पर कोई तवज्जा देने वाला नहीं। लोक आयुक्त के अचानक दौरे में ऐसी ही कुछ चौंका देनी वाली हक़ीक़त का इन्किशाफ़ आज हुआ है।

इस सच्ची-ओ-कड़वी हक़ीक़त को देखते हुए ख़ुद लोक आयुक्त भी तशवीश (संदेह) का शिकार होगई और फ़ौरी अपना रद्द-ए-अमल (प्रतीकिर्या) ज़ाहिर करते हुए इस मुआमला को सूमो टोकी तर्ज़ पर लेते हुए हुकूमत को सिफ़ारिश रवाना करने का फ़ैसला किया है।

ये वाक़िया-ओ-चौंका देने वाली हक़ीक़त नीलोफ़र हॉस्पिटल की है, जहां इंतिहाई तशवीशनाक (संदेहात्मक) हालत पर बच्चों को रखे जाने वाले वार्ड एन आई सी यू में मरीज़ों का बहुत बुरा हाल पाया जाता है।

डाक्टरों की कमी मरीज़ों के साथ अमला का सुलूक और डाक्टरों की अदमे तवज्जो तो आम बात है और अक्सर अमले-ओ-डॉक्टर्स पर इल्ज़ामात पाए जाते हैं लेकिन सरकारी मिशनरी और सरकारी मुराआत (राहत) हुकूमत के वादों के बिलकुल ही ऐन ख़िलाफ़ पाए जाते हैं।

लोक आयुक्त के सामने आए इस हैरतअंगेज़ हक़ीक़त से अंदाज़ा लगाना आसान है कि हुकूमत अवामी सेहत के ताल्लुक़ से किस क़दर संजीदा (गंभीर) है। इन आई सी यू, फ़ोटो थरापी, यूनिट, दारमर यूनिट, इंक्यूबेटर यूनिट यहां तक कि एमरजैंसी के तमाम शोबों (क्षेत्रों) में तक़रीबन इस तरह के हालात हैं जिस पर सिवाए तशवीश (संदेह) और अफ़सोस के कुछ नहीं किया जा सकता

और मज़ीद ये कि हैरतअंगेज़ी और नाक़ाबिल-ए-यक़ीन-ओ-हैरानकुन हालत ये है कि ई ई जी और दौरे पड़ने पर जहां बच्चों की जांच और उन की सेहत की कैफ़ीयत को देखा जाता है और इस के बाद इस यूनिट की रिपोर्ट पर शीरख़वार (तरंदुस्त) और अक्सर कमसिन बच्चों का ईलाज इन्हिसार (निर्भर ) करता है। इस रिपोर्ट को हासिल करने के लिए कम अज़ कम एक हफ़्ता दरकार होता है

चूँकि इस यूनिट में जिस प्रोफ़ैसर के ओपिनियन (तिब्बी (मेडिकल) मश्वरा) की रिपोर्ट दरकार होती है ये प्रोफ़ैसर नीलोफ़र जैसे बड़े हॉस्पिटल में मौजूद नहीं बल्कि उसे उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल से यहां नीलोफ़र हॉस्पिटल आना पड़ता है और इस प्रोफ़ैसर का ये हाल है कि हफ़्ता में एक मर्तबा नीलोफ़र का दौरा करता है। तिब्बी (मेडिकल) मश्वरे पर मुश्तमिल (आधारित) रिपोर्ट मरीज़ों के हवाले करता है।

यानी एक मरीज़ चाहे वो किसी भी हालत में नीलोफ़र पहूंचे उसे एक हफ़्ता का वक़्त दरकार होगा महिज़ ये जानने के लिए कि आया इस का मर्ज़ किया है और इस को किस तरह का ईलाज दरकार है।

उन्हों ने बताया कि डॉक्टर्स, अमला, इनफ़रास्ट्रक्चर और सफ़ाई के ताल्लुक़ से जानकारी हासिल की थी और सफ़ाई के ताल्लुक़ से नीलोफ़र हॉस्पिटल की हालत बहुत ही तशवीशनाक (संदेहात्मक) है। नायब लोक आयुक्त ने बताया कि 500 बिस्तरों वाले इस हॉस्पिटल में 1400 इन पेशेंट्स (मरीज़) पाए जाते हैं

और एनटियाई सी यू यूनिट में फ़ोटो थेरापी का ये हाल है कि एक एक इंक्यूबेटर पर दो दो बच्चों को रखा जाता है और दारमर मशीन भी नाकारा हो गई हैं और कल 22 मशीनों में 7 ता 8 मशीन्स काम कर रही हैं। नीलोफ़र हॉस्पिटल रियासत का बच्चों की सेहत के ताल्लुक़ से सब से बड़ा सरकारी दवाख़ाना माना जाता है, जहां रियासत के हर कोने से मरीज़ आते हैं, जिन में अक्सरीयत सतह ग़ुर्बत से नीचे की ज़िंदगी बसर करने वालों की होती है।

इंसानी सेहत से जुड़े इस संगीन-ओ-हस्सास (महत्वपूर्ण ) मसला (समस्या ) पर हुकूमत की सर्दमहरी माना ख़ेज़ है। ओहदे और कुर्सी को बचाने की फ़िक्र में हुकमरान जमात मसरूफ़ है तो ऐसी जमात की हाईकमान पार्टी के बक़ा के लिए फ़िक्रमंद है जबकि ताज्जुब की बात तो ये है कि इस पार्टी के हाईकमान के रियास्ती निगरानिगार मर्कज़ी हुकूमत में ना सिर्फ बेहतर मुक़ाम रखते हैं

बल्कि मर्कज़ी वज़ीर-ए-सेहत के ओहदे पर भी फ़ाइज़ हैं बावजूद इस के रियासत के इस संगीन मसला (समस्या ) पर ना ही उन की तवज्जा जाती है ना ही उन की तवज्जा इस जानिब मबज़ूल करवाने की किसी को फ़िक्र है। नीलोफ़र हॉस्पिटल की इस हालत पर लोक आयुक्त के अचानक दौरे और हैरत अंगेज़ इन्किशाफ़ात के मंज़र-ए-आम पर आने के बाद अवाम में हॉस्पिटल की बेहतरी के ताल्लुक़ से उम्मीद की किरण जाग उठी है।

अब देखना ये है कि आया हुकूमत इस बावक़ार इदारे की सिफ़ारिश पर अमल करती है या फिर उस सिफ़ारिश को भी बरफ़दान की शिकार बना देती है। इस दौरे के मौक़ा पर लोक आयुक्त टीम में आई जी पी इन्सपैकशंस के नरसिम्हा रेड्डी डिप्टी डायरैक्टर इन्सपैकशंस लोक आयुक्त मुहम्मद ताज उद्दीन, वी सोनयायव इन्सपैक्टर लोक आयुक्त , टी निरसिया-ओ-दीगर (दुसरे) मौजूद थे।