हिंदूस्तानी फ़िल्मी सनअत में जिस तरह महबूब ख़ान, वी शांताराम, राज कपूर, सुहराब मोदी, सत्य जीत रे और गुरूदत्त जैसी अज़ीम हस्तियां गुज़री हैं इन में कमाल अमरोही (kamal amrohi) का नाम ना लिया जाय तो फ़हरिस्त मुकम्मल नहीं होती।
हर साल 11 फरवरी को उन की बरसी मनाई जाती है। मरहूम एक बेहतरीन कहानी कार, मुकालमा निगार, फ़िल्मसाज़ और हिदायतकार थे। मरहूमा मीनाकुमारी से उन की शादी कामयाब नहीं रही।
अमरोही ने कई फिल्में बनाईं जिन में महल, दिल अपना और प्रीत पराई, पाकीज़ा और रज़ीया सुलतान को कामयाबी मिली। महल का एक नग़मा आएगा, आएगा, आएगा आने वाला आज भी बेहद मक़बूल है।
मुंबई में उन्होंने अपने इबतिदाई अय्याम इंतिहाई जद्द-ओ-जहद में गुज़ारे । उनके स्टूडीयो कमालिस्तान को लेकर भी मीडीया में काफ़ी चर्चे रहे, जिन्हें उन के बेटे ताजदार अमरोही ने मौजूदा दौर की अदाकारा प्रीति ज़िंटा के नाम कर दिया था।( इस ख़बर की तौसीक़ नहीं हुई है )।