करंसी नोटों पर लिखना क़ानूनन जुर्म है

करंसी नोटों के वाटरमार्क विंडो पर किसी भी किस्म की तहरीर मना है। इस सिलसिला में रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया की पालिसी और बैंकिंग रैगूलेशन एक्ट वाज़ेह तौर पर करंसी नोटों पर किसी भी किस्म की तहरीर से मना करता है इस के बावजूद अश्रार वाटर मार्क विंडो पर आम अलफ़ाज़ तहरीर कर रहे हैं बल्कि इश्तिआल अंगेज़ स्टैंप भी लगा रहे हैं और इन नारों के ज़रीया मासूम ज़हनों को फ़िर्कापरस्ती के ज़हर से आलूदा (गंदा) करने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर देखा जाए तो करंसी नोटों के वाटरमार्क विंडो पर हर किस्म की तहरीर गै़र क़ानूनी है। ये बात बैंकिंग शोबा के माहिरीन और पुलिस ओहदेदार भी तस्लीम करते हैं। रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया के रहनुमायाना ख़ुतूत और बैंकिंग रैगूलेशन एक्ट का जायज़ा लिया जाए तो पता चलता है के वाटरमार्क विंडो पर लिखना बैंकिंग रैगूलेशन एक्ट 1949 की दफ़ा 35 A के तहत सज़ा है। साल 2001 में आर बी आई ने अवाम को मश्वरा दिया था कि वो नोटों पर कोई नारे या बातें ना लिखें आर बी आई ने नोटों पर तहरीर को एक जुर्म क़रार दिया है।