पूरे मुल्क में करप्शन पर एहतिजाज के सुर सुनाई दे रही हैं, लेकिन जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आ रही है! बुखारी का मानना है कि मुल्क से करप्शन अगले सौ सालों तक खत्म नहीं होगा और यह मुसलमानों के लिए नेमत है |
बुखारी का दावा है कि अक्लियती रिश्वत देकर ही अपना काम करवा पाते हैं | शायद इसीलिए बुखारी की पसंददीदा फहरिस्त में आम आदमी पार्टी का नाम नहीं है | बुखारी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का भी हर मोर्चे पर एहतिजाज करते दिखाई दिए |
वहीं, आम इंतेखाबात में किसी सियासी पार्टी को ताईद देने से पहले जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने एक कमेटी बनाने का फैसला किया है | 11 रूकन वाली कमेटी मुसलमानों की तरफ से बड़ी सियासी पार्टियों का रवैया जानने के बाद रिपोर्ट तैयार करेगी |
इसी रिपोर्ट की बुनियाद पर इमाम बुखारी मुसलमानों के नाम किसी खास सियासी पार्टी को वोट देने की अपील जारी करेंगे | हालांकि, रिपोर्ट जारी होने के पहले ही बुखारी ने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी को खारिज कर दिया है |
बुखारी ने कहा कि 65 साल से अक्लियतो का वोट ले रही कांग्रेस तोहफे में कई तरह के जख्म देती रही है | अक्लियतों में पिछड़ेपन के लिए भी इन्होंने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया | उत्तर प्रदेश में हुकूमत बनने के बाद अक्लियतों से किए गए वादे पर अमल नहीं होने की वजह से बुखारी समाजवादी पार्टी पर भी बरसे |
इन्होंने कहा कि वादों पर अमल करने की बजाय यूपी में सौ से ज्यादा दंगे हुए| मुजफ्फरनगर दंगों की सीबीआई जांच जानबूझकर नहीं कराई गई क्योंकि उनकी पार्टी के किरदार जगजाहिर हो जाती |
अहमद बुखारी ने समाजवादी पार्टी का बीजेपी से रिश्तों पर भी इल्ज़ाम लगाया | उन्होंने कहा कि बीजेपी और समाजवादी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं |
करप्शन खत्म करने के सवाल पर मकबूल होने वाली आम आदमी पार्टी में भी बुखारी को फिर्कावाराना जैसी बुराई नज़र आयी | बुखारी ने कहा कि मुल्क की परेशानी करप्शन नहीं फिर्कापरस्ती है | बढ़ते फिर्कावाराना तशद्दुद से लोगों में अलगाव का एहसास बढ़ता जा रहा है |
11 मेंबर्स वाली कमिटी के एजेंडे में आम आदमी पार्टी का रुख जानना शामिल नहीं है बुखारी कहते हैं कि आप के लिए अपील करने का रिस्क नहीं ले सकते क्योंकि इलेक्शन में मालूम नहीं कि आम आदमी का ऊंट किस करवट पलटेगा |
बुखारी की दावत पर जामा मस्जिद कॉम्प्लेक्स में मुल्क के ज्यादातर सूबों से जुटे मज़हबी उलेमाओं ने कमेटी बनाने का फैसला किया है | मार्च के आखिर या अप्रैल के पहले हफ्ते में इस कमेटी की रिपोर्ट आ जाएगी | लेकिन कयास अभी से लगाए जा रहे हैं कि यूपी में अहमद बुखारी बीएसपी को ताईद देने के मूड में हैं |
बुखारी ने मुसलमानों की सियासी पार्टी और उनमें यकजहती पर भी जोर दिया है | लोकसभा इंतेखाबात के बाद इस पर भी सलाह व मशवरा की उम्मीद है|