वाराणसी की रोहनिया की रैली में जिस शख्स के पैर छू कर नरेंद्र मोदी ने दुआएं ली वह सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर और बाडीगार्ड रह चुके हैं और इनका नाम है कर्नल निजामुद्दीन और इनकी उम्र है 115 साल |
कर्नल निजामुद्दीन का दावा है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत 17 अगस्त 1945 को विमान हादिसे में नहीं हुई थी |नेताजी 20 अगस्त 1945 को बर्मा में छितांग नदी के किनारे पड़े मिले थे | जापान के फौजियों ने उन्हें वहां से उठा लिया था. कर्नल निजामुद्दीन उन दिनों नेताजी के ज़ाती ड्राइवर व बाडीगार्ड थे |
निजामुद्दीन बुध के रोज़ काशी विद्यापीठ में Greater India Institute की तरफ से मुनाकिद प्रोग्राम में हिस्सा लेने आए थे इस दौरान उन्होंने बताया कि नेता जी को आखिरी बार उन्होंने खुद बर्मा की छितांग नदी के किनारे देखा था |
उन्होंने दावा किया कि इन आंखों ने जापानी फौजियों की तरफ से उन्हें उठाकर ले जाते हुए देखा है सरकार ने बगैर मेरा बयान दर्ज किए ही नेताजी की मौत की अफवाह उड़ा दी | कर्नल ने बताया कि नेता जी 12 सिलेंडर वाली गाड़ी से चलते थे | वह बेहद मामूली तरीके से रहते थे|
सेक्युरिटी के नाम पर उनके साथ सिर्फ तीन चार लोग थे मैं उनकी गाड़ी चलाता था सुबूत के तौर पर उन्होंने आजाद हिंद फौज का सनाख्ती कार्ड भी दिखाया |
कर्नल निजामुद्दीन की हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, जर्मन, जापानी, बांग्ला समेत ग्यारह ज़ुबानो पर पकड़ हैं कर्नल अचूक निशानेबाज भी माने जाते हैं | उन्होंने बताया कि 1945 में जंग के दौरान ब्रिटिश जहाज मार गिराया था. मुबारकपुर आजमगढ़ के ग्राम ढकवां के साकिन कर्नल निजामुद्दीन पांच जून 1969 में सिंगापुर से भारत लौटे | उन्होंने बताया कि सिंगापुर में फंसे सभी हिंदुस्तानियो को वापस भेजने के बाद नेताजी ने लौटने का हुक्म दिया था |
नेताजी के हुक्म पर ही हम हिंदुस्तान आ गए |