27 अप्रेेेेैल 2016। रिहाई मंच ने एनआईए पर मोदी सरकार के दबाव में समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट के आरोपियों के खिलाफ केस को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए एनआईए के डायरेक्टर जनरल शरद कुमार को पद से हटाने की मांग की है। मंच ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले संघ परिवार और खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों के गठजोड़ पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की साजिश के तहत कथित आतंकी घटनाएं कराने की भी आशंका व्यक्त की है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड के आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित के बरी होने का रास्ता बनाने के लिए ही एनआईए कोर्ट के आदेश पर सेना से उसे वे दस्तावेज सौंपे गए हैं जिसके जरिए वह आतंकवाद से निपटने में अपनी कथित सक्रीयता का रिकाॅर्ड पेश कर सके। उन्होंने कहा कि सरकार के दबाव में एनआईए अदालत द्वारा दिया गया यह फैसला भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास का सबसे बड़ा शर्मनाक अध्याय साबित होने जा रहा है जहां 68 लोगों की हत्या के मुख्य आरोपी को खुद सरकार के दबाव में उसकी जांच एजेंसी छोड़ने का षडयंत्र रच रही है। देश के स्वयं सेवक रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर खुद सेना कोे आरोपी को उसकी कथित देशभक्ति को साबित करने वाले दस्तावेज सौंपने का आदेश देते हैं ताकि संघ परिवार से जुड़े आरोपी को बचाया जा सके। इस षडयंत्र के तहत आने वाले दिनों में दो स्तरों पर कर्नल पुरोहित को मदद दी जानी है। पहला, उन्हें अगली सुनवाईयों में जमानत दे दिया जाएगा और दूसरा विस्फोट के आरोपों को पाकिस्तान की तरफ शिफ्ट करने के लिए इस पूरे मामले में आरिफ कसमानी नाम के कथित लश्कर आतंकी का नाम लाया जाएगा जिसका नाम हजारों पन्नों के चार्जशीट में कहीं भी नहीं है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि इसी साजिष के तहत एनआईए प्रमुख शरद कुमार पिछले दिनों अमरीका भेजे गए थे जहां उन्होंने आधिकारिक तौर पर आरिफ कसमानी का नाम रिकाॅर्ड पर लाने के लिए उसे समझौता एक्सप्रेस हमले का फायनेंसर बताते हुए उसके सम्बंध में अमरीका से सूचनाएं मांगी हैं। उत्तर प्रदेश में आतंकवाद के आरोपों से बरी हुए 14 बेगुनाह मुसलमानों के वकील रहे मोहम्मद शऐब ने कहा कि अगली सुनवाई में पुरोहित के वकील आरिफ कसमानी के नाम के जरिए पहले से पुरोहित को जमानत देने के लिए तैयार बैठी कोर्ट के मन में संदेह पैदा करने के लिए आरिफ कसमानी के प्रत्यपर्ण की मांग करेगा जिससे अभियोजन पक्ष का केस अपने आप कमजोर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि एक अखबार को दिए इंटरव्यूव में शरद कुमार का यह कहना कि समझौता एक्सप्रेस मामला काफी पुराना होने के कारण गवाहों की स्मृति कमजोर पड़ गई है, संघ परिवार से जुड़े आतंकियों के प्रति एनआईए के सहयोगी रवैये को प्रमाणित करता है और महाराष्ट्र की स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर रोहिणी सैलियन के उस दावे को सही साबित करता है कि एनआईए संघ परिवार से जुड़े आतंक के आरोपियों के प्रति नर्मी बरतने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि जिन मामलों में मुस्लिम युवकों को आरोपी बनाकर जेल में रखा गया है उनके गवाहों की याददाश्त इतनी तेज है कि वे 15- 15 साल बाद भी आरोपियों को पहचान लेने का दावा करते हैं लेकिन जहां संघ परिवार से जुडे आरोपी पकड़े गए हैं वहां गवाहों की याददाश्त कमजोर पड़ जा रही है और खुद एनआईए प्रमुख भी इसे स्वाभाविक मान रहे हैं।
मोहम्मद शुऐब ने आरोप लगायो कि अक्टूबर 2015 में शरद कुमार को मोदी सरकार ने विभिन्न आतंकी विस्फोटों में पकड़े गए संघ परिवार से जुड़े आतंकियों को रिहा करने के लिए ही एक साल का एक्सटेंशन दिया था। जिसकी मियाद पूरी होने में सिर्फ 6 महीने बचे हैं जिसके कारण शरद कुमार अत्यधिक दबाव में ओवर टाइम खट रहे हैं जिससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और वे इस हद तक के वाहियात तर्क दे रहे हैं।
वहीं रिहाई मंच के महासचिव राजीय यादव ने आशंका व्यक्त की है कि अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए संघ परिवार और खुफिया व सुरक्षा एजेंसियां आतंकी विस्फोट करा सकती हैं ताकि उसके आरोप में बेगुनाह मुस्लिम युवकों को पकड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि इसी रणनीति के तहत पिछले दिनों मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस को दहला देने की नाकाम कोशिश की गई। जहां कचहरी से मिलीटरी, पैरा मिलीटरी, महाराष्ट्र पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला महाराष्ट्र सरकार के आयुध कारखाने से बना ग्रेनेड बरामद किया गया। उन्होंने कहा कि 1 तारीख को मोदी पूर्वांचल के ही बलिया का दौरा करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बनारस कचहरी में मिले ग्रेनेड की जांच के दायरे में संघ परिवार और उसके आनुषांगिक संगठनों को लाया जाए क्योंकि समझौता एक्सप्रेस, मालेगांव समेत दर्जनांे आतंकी घटनाओं के मास्टरमाइंड कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने एटीएस के समक्ष यह स्वीकार किया था कि उसने भारतीय सेना से विस्फोटक और हथियार हिंदुत्ववादी आतंकियों को सप्लाई किए थे और इसमें भी सबसे ज्यादा उसने महाराष्ट्र की ही आयुध फैक्ट्री का नाम लिया था जिसका इस्तेमाल देश के विभिन्न जगहों पर हुए आतंकी हमलों में किया गया।